जयपुर 14 अक्टूबर। राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस हॉस्पिटल में 9 अक्टूबर को न्यूरोसर्जरी विभाग का हैड डॉ. मनीष अग्रवाल 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। न्यूरो सर्जरी में काम आने वाली ब्रेन कॉइल सप्लाई करने वाली कंपनी के बिलों पर साइन करने की एवज में रिश्वत मांगी थी। एसीबी ने उसे एक लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। अब एसीबी ने डॉ. अग्रवाल का लोकर खोला। लॉकर में 1 करोड़ रुपये का सोना निकला है। यानी जो रुपये अवैध रूप से कमाए जाते थे। उसे सोने में निवेश करके लॉकर में छिपा दिए थे। एसीबी को संदेह है कि डॉ. मनीष अग्रवाल के और भी लॉकर हो सकते हैं। उससे गहन पूछताछ जारी है।
एसीबी की गिरफ्त में आए डॉ. मनीष अग्रवाल की ओर से कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई गई है। सीनियर एडवोकेट दीपक चौहान की ओर से पेश की गई जमानत याचिका में कहा गया है कि डॉ. मनीष को झूठा फंसाया जा रहा है। उनका काम मरीजों का इलाज करना है ना कि बिल पास करना। बिल पास करने के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से एक कमेटी का गठन किया हुआ है। यह कमेटी ही बिल पास करने का काम करती है। अकेले डॉ. मनीष अग्रवाल के हस्ताक्षर से बिल पास होते ही नहीं है। उनके विरोधियों ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया है।
एसीबी ने 9 अक्टूबर की देर शाम को गोपालपुरा स्थित डॉ. मनीष अग्रवाल के घर पर ही उन्हें ट्रेप किया था। कंपनी के प्रतिनिधि से डॉ. मनीष ने एक लाख रुपये की रिश्वत ली थी। एसीबी द्वारा ट्रेप करने के बाद जब घर में तलाशी ली गई तो तलाशी के दौरान 4 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी मिली। साथ ही जयपुर के अलग अलग इलाकों में प्रॉपर्टी होने के कई दस्तावेज भी मिले। एसीबी ने सभी दस्तावेज जब्त किए हैं।
एसीबी ने ट्रेप की कार्रवाई करने के लिए एक हैड कांस्टेबल को मरीज बनाकर डॉ. मनीष अग्रवाल के घर भेजा। उसी समय कंपनी का प्रतिनिधि रिश्वत की रकम लेकर डॉक्टर के घर पहुंचा था। सभी मरीजों को देखने के बाद डॉ. मनीष ने कंपनी के परिवादी को चेंबर में बुलाया और एक लाख रुपये लिए। इसी दौरान हैड कांस्टेबल ने चैंबर में एंट्री की। डॉक्टर सकपकाते हुए बोला कि आप कौन हो, अंदर कैसे आए हो। इस पर हैड कांस्टेबल ने कहा कि मरीज दिखाना है जो दो मिनट में आने वाला है। इस पर डॉ. मनीष ने हैड कांस्टेबल को धमकाते हुए बाहर जाने के लिए कहा।
जब हैड कांस्टेबल डॉक्टर के मकान में ही रुका रहा तो डॉ. मनीष ने उसे अपॉइंटमेंट लेकर आने के लिए कहा। इस पर हैड कांस्टेबल ने कहा कि वह एसीबी से है और आप रिश्वत लेते हुए पकड़े गए हैं। इस पर डॉक्टर ने अपने कर्मचारी जगत सिंह को बुलाया और रुपये देकर बाहर फेंकने के लिए कहा। कर्मचारी जगत सिंह ने एक लाख रुपये पड़ोस के खाली प्लॉट में फेंक दिए। इसी दौरान एसीबी की पूरी टीम डॉ. मनीष के घर में घुस गई और उन्हें पकड़ लिया। खाली प्लॉट से रिश्वत के रुपये भी बरामद कर लिए गए।