आराकोट(उत्तरकाशी) 27 अक्टूबर। ‘गाजे-बाजे के साथ दुल्हन पक्ष नाचते-गाते बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंचा। ये अनूठा नजार था रविवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कलीच गांव का। यहां पर दुल्हन अपने दूल्हे के घर बारात लेकर पहुंच गई। उत्तराखंड के जौनसार में इस प्रकार के विवाह समारोह आम हैं पर बंगाण क्षेत्र में करीब पांच दशक पहले लुप्त हो चुकी इस परंपरा के पुन: आयोजन के गवाह, स्थानीय ग्रामीण ही नहीं बल्कि बाहर से आए लोग भी बने। अब बाराती तो सोमवार को लौट जाएंगे जबकि दुल्हन अपने ससुराल में ही रहेगी।
उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील में आराकोट के कलीच गांव में रविवार की रात पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की शादी हुई। खास बात यह रही कि ग्राम जाकटा के जनक सिंह की पुत्री कविता ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बारात लेकर कलीच पहुंची थी। दूल्हा पक्ष की ओर से भी पारंपरिक रीति रिवाज के साथ बारात का स्वागत किया गया।
दहेज का लेनदेन नहीं
इस शादी की एक और खास बात यह रही कि दोनों पक्षों की ओर से दहेज या कोई अन्य मांग नहीं की गई। लड़के के पिता कल्याण सिंह उन्नतिशील खेती-किसानी और वैचारिक, सामाजिक प्रगति के लिए क्षेत्र में जाने जाते हैं। इसीलिए उन्होंने विस्मृत हो चुकी पारंपरिक विरासत के लिए अपने बेटे की शादी में द्वार खोल दिए। कल्याण कहते हैं, हमें अपनी संस्कृति को बचाना है तो पुराने रीति रिवाजों को जिंदा करना होगा।
इस तरह के विवाह को ‘जोजोड़ा’ कहा जाता है जिसका अर्थ है-जो जोड़ा भगवान खुद बनाते हैं। वहीं बारातियों को जोजोड़िये कहते हैं। यह परंपरा इस उद्देश्य से शुरू हुई थी कि बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ न पड़े। बदलते वक्त के साथ विलुप्त हो गई परंपरा को नई पीढ़ी ने फिरजीवित करने का बीड़ा उठाया है।

