asd करोड़ों की संपत्ति बचाने के लिए आठ दंपती ने एक-दूसरे को मर्जी से दिया तलाक – tazzakhabar.com
Date: 14/03/2025, Time:

करोड़ों की संपत्ति बचाने के लिए आठ दंपती ने एक-दूसरे को मर्जी से दिया तलाक

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ग्रेटर नोएडा, 25 सितंबर। जरा हटके जरा बचके फिल्म में दंपती लीगल सरकारी योजना के तहत फ्लैट का लाभ लेने के लिए नकली तलाक ले लेते हैं, लेकिन ग्रेटर नोएडा में ऐसा हकीकत में देखने को मिला है।
रिश्तों के आगे संपत्ति की कोई कीमत नहीं है, लेकिन समय के साथ समाज में यह सोच अब बदल चुकी है। संपत्ति के लिए रिश्ते भी दिखावटी बन रहे हैं। यमुना प्राधिकरण में आठ दंपती ने अपने आवंटित भूखंडों को रद्द होने से बचाने के लिए पति-पत्नी जैसे पवित्र रिश्ते की डोर को तोड़ दिया है, तलाक ले लिया है, ताकि पति-पत्नी दोनों के नाम आवंटित भूखंड को रद्द होने से बचाया जा सके। प्राधिकरण 32 ऐसे औद्योगिक भूखंडों की जांच कर रहा है जो 10 परिवारों के सदस्यों में आवंटित हो गए हैं। इसके अलावा 16 भूखंड भी जांच के दायरे में हैं। एसीईओ की कमेटी इन भूखंडों के आवंटन की जांच कर रही है। सभी भूखंड चार हजार वर्गमीटर तक के हैं। इनका आवंटन लॉटरी के माध्यम से किया गया है। यमुना प्राधिकरण अपनी योजना के माध्यम से किसी व्यक्ति को एक ही भूखंड का आवंटन करता है।

दंपती में एक को ही भूखंड आवंटन का नियम है, लेकिन प्राधिकरण की पूर्व में आईं औद्योगिक भूखंड योजना में 47 ऐसे प्रकरण हैं। जिसमें एक ही परिवार के लोगों को एक से अधिक भूखंडों का आवंटन हो गया है, या फिर जिस कंपनी के नाम पर भूखंड का आवंटन हुआ, उसमें वह शामिल हैं। ऐसे आवंटन प्राधिकरण के रडार पर हैं। प्राधिकरण के अपर कार्यपालक अधिकारी कपिल सिंह को इन आवंटन की जांच सौंपी गई है।

जांच में रोचक बात भी सामने आई है। पति-पत्नी दोनों के नाम भूखंड का आवंटन हो गया है तो नियमानुसार एक ही भूखंड उनके पास रह सकता है, लेकिन दंपती ने दोनों भूखंडों का आवंटन बचाने के लिए सहमति से तलाक ले लिया। ताकि अलग-अलग होने पर उन दोनों के नाम पर आवंटित भूखंड रद्द होने की संभावना समाप्त हो जाए। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि जांच में ऐसे 32 आवंटन सामने आए हैं, जिनका आवंटन 10 परिवार के सदस्यों के नाम पर हुआ है।

इनके अलावा 16 आवंटन ऐसे मिले हैं, जिसमें एक ही परिवार के सदस्य दोनों फर्म, दोनों कंपनी या एक फर्म एक कंपनी के पदाधिकारी हैं। एक आवंटी ने अपना भूखंड सरेंडर कर दिया है, लेकिन अन्य प्रकरणों की जांच जारी है। सभी आवंटित भूखंड सेक्टर 29 व 33 में हैं।

लाखों की भूखंडों की कीमत करोड़ों में
प्राधिकरण से आवंटित भूखंडों की करोड़ों में कीमत ने दंपती को तलाक तक पहुंचा दिया है। प्राधिकरण में औद्योगिक भूखंडों की आवंटन दर सबसे कम होती है। जो भूखंड महज कुछ लाख रुपये में लोगों को मिले थे, आज उनकी कीमत करोड़ों में है। एक भूखंड का रद्द होने का मतलब करोड़ों रुपये हाथ से फिसलना है। इसलिए भूखंड को बचाने के लिए दंपती हर संभव हथकंडा अपना रहे हैं।

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