लखनऊ, 03 दिसंबर। योगी सरकार ने इंटीग्रेटेड नीति में न्यूनतम 25 एकड़ में टाउनशिप बसाने की बाध्यता हटा दी है। बिल्डर न्यूनतम 12.5 एकड़ भूमि पर टाउनशिप बना सकेंगे। आवंटियों के लिए इंटीग्रेटेड टाउनशिन नीति में स्वीकृत डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में संशोधन, परियोजना अवधि में विस्तार की सुविधा दे दी गई है। 25 एकड़ तक तीन साल और इससे अधिक होने पर पांच साल में टाउनशिप को पूरा करना होगा। इससे इन योजनाओं में आवंटियों को फ्लैट और भूखंड मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति-2005 और 2014 के अधीन स्वीकृत और निष्क्रिय परियोजनाओं को निरस्त करने, चालू करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत बिल्डरों को न्यूनतम 25 एकड़ से 500 एकड़ में टाउनशिप बनाने के लिए प्राधिकरण, आवास विकास परिषद के जरिए लाइसेंस दिया गया था। इस योजना में परियोजनाओं को आठ से लेकर 12 साल में पूरा करना था, लेकिन कई परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाई और आवंटियों का पैसा फंस गया।
क्षेत्रफल में कटौती-विस्तार की सुविधा
इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति में वर्ष 2005 में 22 और वर्ष 2014 में 18 बिल्डरों को लाइसेंस दिए गए। इसमें पांच परियोजनाएं पूरी और सात निष्क्रिय हैं। 14 पर काम चल रहा है। टाउनशिप बस न पाने की मुख्य वजह भूमि न मिल पाना बताया गया। अधिकतर बिल्डर 25 एकड़ भूमि नहीं जुटा पाए, इसीलिए संशोधित नीति में बिल्डरों को एक मौका देने का फैसला किया गया है। इसके मुताबिक, बिल्डरों को क्षेत्रफल में कटौती-विस्तार सुविधा दी गई है। बिल्डरों को न्यूनतम 12.5 एकड़ में टाउनशिप बसाने की सुविधा दी गई है। पहले 25 एकड़ न्यूनतम भूमि चाहिए थी। कटौती के बाद छोड़ी भूमि थर्ड पार्टी को नहीं दी जाएगी। परियोजना क्षेत्र के बाहर 10 प्रतिशत क्षेत्र पर भी विकास की अनुमति दी जाएगी। बिल्डरों को पूलिंग के आधार पर भूमि लेने की भी सुविधा दी गई है। भू-उपयोग परिवर्तन की सुविधा भी दी जाएगी।
तीन माह में देना होगा डीपीआर
इस नीति के तहत संशोधन डीपीआर तीन माह में विकास प्राधिकरण या आवास विकास परिषद को देना होगा। पुराने ले-आउट में बदलाव की जरूरत पर भी इसे पेश करना होगा। टाउनशिप के अंदर लोगों की जरूरत की सभी सुविधाएं देनी होंगी।

