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    Home»देश»कथावाचक ने पहचान छिपाकर छुआए पैर, भेद खुला तो माफी मांगकर भाग निकला
    देश

    कथावाचक ने पहचान छिपाकर छुआए पैर, भेद खुला तो माफी मांगकर भाग निकला

    adminBy adminSeptember 12, 2025No Comments7 Views
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    लखीमपुर खीरी 12 सितंबर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में इटावा जैसा मामला सामने आया है. यहां एक कथावाचक पर 7 दिनों तक पहचान छिपाकर कथा करने का आरोप लगाकर लोगों ने हंगामा किया. आक्रोश बढ़ता देखा कथावाचक ने सार्वजनिक रूप से मंच से माफी मांगी और वहां से चले गए. मामला लखीमपुर खीरी के खमरिया कस्बा स्थित रामजानकी मंदिर का है. यहां श्रीमद्भागवत कथा करने आए कथावाचक पर ब्राह्मण समाज ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाकर समाज के लोगों से पैर छुआए. लोगों को जब सोशल मीडिया से कथावाचक की जाति के बारे में जानकारी हुई तो आक्रोशित समाज के लोगों ने उनका घेराव किया.

    दरसअल, धौरहरा तहसील क्षेत्र के खमरिया कस्बे में इटावा जैसा मामला सामने आया है. यहां राम जानकी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन मंदिर समिति के लोगों ने किया. 7 दिवसीय कथा में कस्बे के अन्य लोगों के साथ ब्राह्मण समाज के भी लोग कथा सुनने आने लगे. परंपरा के तौर पर सभी लोगों ने कथा व्यास के पैर भी छुए. संत वेश धारण कर सफेद वस्त्रों में कथावाचक पारस मौर्य ने पैर छूने वाले सभी लोगों को भी आशीर्वाद दिया. इनमें ब्राह्मण समाज के लोग भी थे. बुधवार को ब्राह्मण समाज के लोगों को जानकारी हुई कि यह कथावाचक मौर्य समाज से होकर भी ब्राह्मण समाज के लोगों से पैर छुआते हैं तो आक्रोश फैल गया. काफी संख्या में लोगों ने कथा व्यास पीठ पर कथा वाचक को घेर लिया.

    कथावाचक से सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाई गई
    कथावाचक पारस मौर्य ने अपनी पहचान छिपाकर खुद को पारसनाथ तिवारी निवासी काशी विश्वनाथ बताकर ब्राह्मण समाज से पैर छुआने और जाति छिपाकर कथा सुनाने की बात स्वीकारते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी. इसके बाद वह कथा छोड़कर चले गए. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है
    खमरिया कस्बे में रहने वाले हरीश अवस्थी ने बताया कि हमारे गांव में एक ब्राह्मण भेष में एक आदमी आया और कहने लगा हम कथा करेंगे. हम लोगों ने उनका सम्मान करते हुए कथा का आयोजन कराया, लेकिन सोशल मीडिया पर उनके बारे में जानकारी हुई कि वह मैगलगंज के रहने वाले हैं और वह ब्राह्मण नहीं मौर्य है. उनके गुरु से जब बात की गई तो उनकी सच्चाई सामने आई. हम लोगों को पता चला कि ब्राह्मणों ने मौर्य के पैर छू लिए. इससे लोगों में आक्रोश हो गया, लेकिन कथा वाचक ने अब माफी मांग ली है. हम लोग अब संतुष्ट है.

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