asd जल ही जीवन है! 50 फीसदी से अधिक ग्रामीण घरों में पहुंचा नल का पानी

जल ही जीवन है! 50 फीसदी से अधिक ग्रामीण घरों में पहुंचा नल का पानी

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जल ही जीवन है और जल का महत्व सभी जानते हैं। वर्तमान समय में जल संचयन की बहुत आवश्कता है क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में भूगर्भ जलस्तर में गिरावट आ रही है। वही एक खबर के अनुसार देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50 फीसदी से अधिक ग्रामीण घरों में अब नल के पानी के कनेक्शन हैं। देश के कुल 19.33 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों में से अब तक 16.09 करोड़ से अधिक को कनेक्शन दिए जा चुके हैं। सरकार का मकसद योजना के तहत इस साल के आखिर तक सभी ग्रामीण घरों में नल के पानी का कनेक्शन देना है।
इस योजना की शुरुआत केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन के तहत 2019 में की थी। इसका उद्देश्य 2024 तक हर एक ग्रामीण परिवार को हर व्यक्ति के हिसाब से रोजाना 55 लीटर नल का पानी मुहैया कराना है। आधिकारिक आंकड़ों क अनुसार, इस योजना के तहत केंद्र शासित प्रदेशों सहित 11 राज्यों के 100 फीसदी ग्रामीण घरों में पानी के नल लगाए जा चुके हैं। इनमें हरियाणा, तेलंगाना, पुडुचेरी, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश सहित मिजोरम राज्य के हर गांव के घर में नल के पानी का कनेक्शन है। उधर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के गांवों के सभी गांवों में नल का पानी पहुंच चुका है।
सबसे कम नल के पानी के कनेक्शन पश्चिम बंगाल के गावों में लगे हैं। इस राज्य के गांव के घरों में अब-तक 52.30 फीसदी नल के पानी के कनेक्शन ही लग पाए हैं। पिछड़ने के मामले में 52.91 फीसदी के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर है। 53.62 फीसदी के साथ केरल तीसरे नंबर पर, झारखंड 54.26 प्रतिशत के साथ चौथे नबंर पर तो 64.84 प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश पांचवें नंबर पर हैं।
मिशन का असर असम जैसे बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में दिखाई दिया, क्योंकि यहां प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी स्वच्छ पानी तक पहुंच सुनिश्चित हुई। दरअसल, मानसूनी बाढ़ से नियमित तौर से प्रभावित होने वाले समुदायों ने इस योजना को जीवन रेखा के तौर पर देखा। यहां सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने, ग्राम सभाओं को नल के पानी के कवरेज को सत्यापित करने और सेवा स्तरों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर घर जल प्रमाणन पहल शुरू की गई। इस पहल को गोवा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्य पहले ही अपना चुके हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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