नई दिल्ली, 05 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बड़ी बेंच ने आज अपने अहम फैसले में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों। सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले से कहा कि सभी निजी संपत्तियां संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत श्समुदाय के भौतिक संसाधनोंश् का हिस्सा नहीं बन सकती हैं और राज्य के अधिकारियों की तरफ से सार्वजनिक भलाई के लिए इसे अपने कब्जे में नहीं लिया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8-1 के बहुमत के साथ इस मुद्दे पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं। उनका कहना है कि हर निजी संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति नहीं कहा जा सकता।
संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने बहुमत से जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से अलग है। बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जस्टिस अय्यर के इस फिलॉसफी से सहमत नहीं है कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया
ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा ,जस्टिस राजेश बिंदल , जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया है।