देहरादून 27 सितंबर। उत्तराखंड में इस बार मौसम का कहर का देखने को मिला है. कई जगहों पर बादल फटने के कारण तबाही का मंजर नजर आया है. ऐसा ही मंजर आज से 51 दिन पहले धराली में देखने को मिला था. जब यहां बादल फटने के कारण पूरा गांव मलबे की चपेट में आ गया था. इस हादसे में कई लोगों की मौत हुई थी. इसके साथ ही कई लोग लापता हुए थे, हादसे के 51 दिन बाद सरकार ने लापता लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया है.
धराली हादसे को लगभग 2 महीनों का समय होने वाला है. इस हादसे में 67 लोग लापता हुए थे. जिन्हें प्रशासन की तरफ से खोजने की कोशिश की गई थी. हालांकि इनका कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा है. यही कारण है कि अब सरकार ने केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 67 लोगों का मृत्यु प्रमाण जारी करने का फैसला लिया है.
डेथ सर्टिफिकेट जारी होने के बाद लापता लोगों के परिवार जनों को राहत के तौर पर आर्थिक सहायता दी जाएगी. हादसे के बाद प्रदेश सरकार की तरफ से लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने को लेकर गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था. महारजिस्ट्रार गृह मंत्रालय ने लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने की अनुमति दे दी है.
अब गृह मंत्रालय ने 2021 की तर्ज पर धराली आपदा में लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने की अनुमति दी है. साल 2021 में चमोली जिले के रैणी में इस तरह का हादसा सामने आया था.
केंद्र सरकार ने भले ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए हों, लेकिन इसमें भी लंबा समय लगेगा. आपदा में लापता लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पहले लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज करनी होगी. इसके बाद 30 दिन का नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद कोई आपत्ति दर्ज न होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा.
डीएनए सैंपलिंग भी होगी
शासन ने धराली व हर्षिल में लापता व्यक्तियों के डीएनए सैंपलिंग का निर्णय भी लिया है। उद्देश्य यह कि इस आधार पर प्राप्त शवों अथवा अंगों की शिनाख्त की जा सके।
आपदा में लापता
उत्तरकाशी – 13
टिहरी – 01
देहरादून- 01
बिहार – 13
राजस्थान – 01
उत्तरप्रदेश – 06
नेपाल – 25
सेना – 08