अमरेली 04 नवंबर। गुजरात के अमरेली से इंसानियत और सेवा की मिसाल कायम करने वाली खबर सामने आई है. गुजरात के अमरेली में रहने वाले एक कारोबारी ने अपने गांव के हर एक किसान का सालों पुराना कर्ज माफ करवा दिया. बता दें कि एक कारोबारी ने अपनी मां की पुण्यतिथि पर ऐसा काम किया, जिसने पूरे गांव के किसानों की जिंदगी ही बदल दी. सावरकुंडला तालुका का जीरा गांव, जहां आज हर किसान के चेहरे पर मुस्कुराहट है, और आंखों में आभार के आंसू. यह खुशी दी है—गांव के ही कारोबारी, बाबूभाई जीरावाला ने.
बाबूभाई जीरावाला ने बताया कि हमारे गांव में जीरा सेवा सहकारी मंडल को लेकर 1995 से एक बड़ा विवाद चल रहा था. इस समिति के तत्कालीन प्रशासकों ने किसानों के नाम पर फर्जी ऋण लिए थे. इतने सालों में कर्ज कई गुना तक बढ़ गया था.
किसानों को सरकार से मिलने वाली सहायता, ऋण और अन्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा था. गांव के किसानों को बैंक कोई लोन नहीं देती थी. लोन न मिलने से किसान परेशान थे. कर्ज के चलते जमीनों का बंटवारा तक नहीं हो पा रहा था. इसलिए मेरी माता की इच्छा थी कि उनके पास जो गहने हैं, उसे बेचकर गांव के किसानों का कर्ज चुका दिया जाए.
बाबूभाई ने अपनी मां की पुण्यतिथि पर गांव के 290 किसानों का करीब 90 लाख रुपये का कर्ज चुकाकर पूरे गांव को कर्जमुक्त कर दिया. वहीं, 1995 से चल रहा बैंक ऋण विवाद अब खत्म हो गया है.
कभी फर्जी ऋणों की वजह से परेशान किसान आज राहत की सांस ले रहे हैं. बाबूभाई ने कहा, उनकी मां की अंतिम इच्छा थी कि उनके गहने बेचकर किसानों का कर्ज चुका दिया जाए. मां की यही इच्छा उन्होंने अपने परिवार के साथ पूरी कर दी. जब किसानों को ‘नो ड्यू सर्टिफिकेट’ सौंपे गए, तो माहौल भावुक हो गया.
जिन किसानों पर सालों से कर्ज का बोझ था, आज उनके चेहरों पर संतोष और कृतज्ञता की झलक थी. उनकी इस पहल ने साबित कर दिया कि अगर धन का सदुपयोग हो, तो वह न सिर्फ किसी की जिंदगी बदल सकता है, बल्कि पूरे समाज को उम्मीद दे सकता है.
बाबूभाई जीरावाला ने बताया कि मैं और मेरे भाई ने बैंक अधिकारियों से मुलाकात की और इच्छा जताई तो बैंक के अधिकारियों ने भी नो कर्ज सर्टिफिकेट देने में सहयोग किया. गांव के किसानों पर कुल 89,89,209 लाख रुपए का कर्ज था. वह हमने भर दिया है और बैंक से किसानों के नाम नो कर्ज सर्टिफिकेट लेकर सभी किसानों को दे दिए हैं. मैं ओर मेरा परिवार खुश है कि हमने मां की इच्छा पूरी की.

