नई दिल्ली 08 दिसंबर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा सातवीं की किताब में छात्र महमूद गजनवी के अत्याचारों के बारे में विस्तार से जान सकेंगे। छह पृष्ठ के अध्याय में गजनवी वंश के बारे में जानकारी दी जाएगी। पुरानी किताब में महमूद गजनवी पर सिर्फ एक पैराग्राफ था।
हाल ही में जारी की गई नई किताब जिसका शीर्षक ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटीज़: इंडिया एंड बियॉन्ड’ है, में मथुरा और सोमनाथ जैसे शहरों की लूट का विस्तार से वर्णन किया गया है। किताब में महमूद गजनवी को क्रूर और अत्याचारी लूटेरे के रूप में चित्रित किया गया है। किताब में बताया गया कि गजनवी ने अपने अभियानों में हजारों नागरिकों का नरसंहार किया, जिनमें बच्चे भी शामिल थे। उसने हिंदू मंदिरों में हमले कर लूटपाट की, इस्लाम धर्म का प्रचार किया। नए पाठ्यक्रम की किताबें 2026-27 सेशन में पढ़ाई जा सकती हैं। महमूद गजनवी को आमतौर पर गजनी के महमूद के नाम से जाना जाता है। उसने 971 से 1030 ईस्वी तक गजनी पर शासन किया था। इसलिए, भारत की संपत्ति को लूटने के लिए उसने सबसे पहला हमला 1001 में किया। उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
इसमें विशेष रूप से मथुरा में मंदिरों और कन्नौज में राजाओं की मूर्तियों के विनाश का उल्लेख है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण विवरण सोमनाथ, गुजरात पर हुए हमले का है. यह खंड डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एक बयान का भी उल्लेख करता है, जब उन्होंने 1950 में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण को हरी झंडी दी थी, जहां मूर्तियों के टुकड़े जानबूझकर मस्जिद के दरवाजों पर लगाए गए थे.
एनसीईआरटी क्लास 7 इतिहास की किताब में यह नया अध्याय चोल साम्राज्य के नौसेना विस्तार और बख्तियार खिलजी के सैन्य अभियानों जैसे विषयों के साथ-साथ चलता है, जिन्होंने नालंदा और विक्रमशिला जैसे बड़े विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था. किताब में यह भी उल्लेख है कि चोलों ने भारत के दक्षिणी हिस्सों में आक्रमणकारियों के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा, जो उत्तरी भारत के विपरीत एक बिल्कुल अलग कहानी प्रस्तुत करता है.

