नई दिल्ली 03 नवंबर। सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम- 2021 के तहत पति के निर्धारित अधिकतम आयु सीमा से अधिक होने के बावजूद दिल्ली हाई कोर्ट ने एक इच्छुक दंपति को सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दे दी है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि दंपति ने अधिनियम के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, इसलिए धारा 4(iii)(वी)(सी)(आइ) के तहत आयु सीमा उन पर लागू नहीं होगी। यह प्रविधान सरोगेसी चाहने वाले इच्छुक दंपत्तियों के लिए आयु सीमा निर्धारित करता है। इसमें कहा गया है कि महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। वहीं, वर्तमान मामले में पति की आयु 57 वर्ष और पत्नी की आयु 42 वर्ष बताई गई थी।
दंपति ने याचिका में तर्क दिया था कि आईवीएफ सहित गर्भधारण के कई असफल प्रयासों के बाद चिकित्सकों ने उन्हें माता-पिता बनने के लिए सरोगेसी को एकमात्र व्यवहार्य विकल्प मानने की सलाह दी थी। दंपति ने तर्क दिया कि चूंकि पति अधिकतम आयु सीमा पार कर चुका था, इसलिए उसे सरोगेसी प्रक्रिया के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
यह भी तर्क दिया कि उन्होंने यह प्रक्रिया छह जनवरी, 2021 को ही शुरू कर दी थी, जो कि अधिनियम के लागू होने से पहले ही शुरू हो गई थी, जबकि अधिनियम 25 जनवरी 2022 को लागू हुआ। यह भी कहा कि अधिनियम की धारा 4(iii)(वी)(सी)(आइ) का कठोर प्रयोग भेदभावपूर्ण, मनमाना है और प्रजनन स्वायत्तता के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
उक्त तर्कों को स्वीकार करते हुए अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, ऐसे में अदालत के विचार में अधिनियम की धारा 4(iii)(वी)(सी)(आइ) याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं होगी। साथ ही पति की उम्र की परवाह किए बिना, दंपति को सरोगेसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी गई।

