नई दिल्ली 22 अक्टूबर। दिवाली के त्योहार के बाद दिल्ली एक बार फिर धुएं और धूल की चादर में घिरी नजर आ रही है. स्विट्जरलैंड की एयर क्वालिटी फर्म IQAir की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. इस लिस्ट में भारत के मुंबई (5वां स्थान) और कोलकाता (8वां स्थान) भी शामिल हैं. पाकिस्तान के लाहौर और कराची, कुवैत, ताशकंद, दोहा, ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा और इंडोनेशिया की जकार्ता भी टॉप 10 में हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की हवा दिवाली के बाद तेजी से खराब हुई. पटाखों का धुआँ, वाहनों के धुएँ, निर्माण कार्य और पराली जलाने से हवा में जहरीले कण घुल गए हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार सुबह दिल्ली का AQI 350 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. कुछ इलाकों जैसे बवाना, जहांगीरपुरी, वज़ीरपुर, अलीपुर और बुराड़ी क्रॉसिंग में AQI 401 से ऊपर गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है.
दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स जलाने की अनुमति दी थी और समय-सारिणी तय की थी: 18 से 21 अक्टूबर, शाम 6-7 बजे और रात 8-10 बजे. लेकिन कई इलाकों में लोग देर रात तक पटाखे जलाते रहे, जिससे हवा और ज़हरीली हो गई.
विश्व के प्रदूषित टाप-5 शहर (शाम छह बजे की स्थिति में)
शहर एक्यूआइ का स्तर
दिल्ली 1752
कोलकाता 1733
कराची 1674
लाहौर 1655
मुंबई 162
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों के मुकाबले दिवाली पर इस बार दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहा। वह तो गनीमत है कि हवाओं की गति ने इस बार पूरा साथ देते हुए आपातकालीन स्थिति पैदा होने की परिस्थितियां नहीं बनने दीं।
तेज हवाओं के चलते प्रदूषित हवाएं एक जगह पर ठहर नहीं पाईं अन्यथा स्थिति और विकराल होती। दिवाली पर इस बार दिल्ली-एनसीआर में पिछले सालों के मुकाबले प्रदूषण का यह स्तर तब था, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर सख्त निर्देश दिए थे। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों ने ग्रीन पटाखों के जरिए बढ़ने वाले इस प्रदूषण को थामने के बड़े-बड़े दावे किए थे।
हालांकि हकीकत यह थी कि ग्रीन पटाखों के नाम जो पटाखे बेचें भी गए, उनसे भी जमकर प्रदूषण हुआ।नकली पटाखों को रोकने और वायु प्रदूषण बढ़ने पर जगह-जगह कार्रवाई व पानी के छिड़काव करने आदि जैसे दावे भी फेल रहे। यह स्थिति तब है जबकि दिल्ली सहित देश के 134 बड़े शहरों में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत वायु प्रदूषण को रोकने की योजना मौजूद है जिस पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।
कौन-कौन से शहर हैं शामिल?
इन सभी शहरों में पीएम-10 के स्तर को मार्च 2026 तक 40 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है। सीपीसीबी की वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, देश के 264 शहरों में से दिवाली पर लगभग 200 शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में था। इनमें नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़, मेरठ जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।
वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाली एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बढ़े प्रदूषण के स्तर में पटाखों से निकलने वाले धुएं की कितनी हिस्सेदारी है, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि इस पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है। संभवत: इसमें पटाखों के साथ-साथ पराली और कचरा जलाने का भी योगदान है।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो सर्दियों में प्रदूषण और बढ़ सकता है. डॉक्टरों के अनुसार, ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा में लंबे समय तक रहना फेफड़े, दिल और आंखों के लिए हानिकारक है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए.

