पटियाला 30 अगस्त। पुलिस ने पंजाबी विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया है और विश्वविद्यालय ने दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है जिससे सिख विद्वान भाई काहन सिंह नाभा द्वारा लिखित ‘महान कोश’ की कथित बेअदबी को लेकर विवाद और बढ़ गया है।
विश्वविद्यालय ने डॉ. एच.पी.एस. कालरा (प्रभारी, प्रकाशन ब्यूरो एवं प्रेस) और महिंदर भारती (निदेशक, पर्यावरण एवं जैव विविधता विभाग) को ‘महान कोश’ के पुनर्मुद्रित संस्करणों को नष्ट करने में कथित लापरवाही के लिए शुक्रवार को निलंबित कर दिया। विश्वविद्यालय ने हाल के वर्षों में ‘महान कोश’ का पुनर्प्रकाशन किया था लेकिन विद्वानों ने इसके नए संस्करण में कई त्रुटियां उजागर की थीं। इस बीच, पटियाला पुलिस ने विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जगदीप सिंह, अकादमिक मामलों के डीन डॉ. जसविंदर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. दविंदर सिंह, डॉ. कालरा और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (पवित्र ग्रंथों की बेअदबी के कृत्यों को दंडित करने से संबंधित धारा) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि यह प्राथमिकी सात छात्रों की शिकायत पर दर्ज की गई है।
यादविंदर सिंह यदु और कुलदीप सिंह झिंजर के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन पर पंजाबी भाषा और विरासत की ‘बेअदबी’ करने का आरोप लगाया था। छात्रों ने दावा किया कि विश्वविद्यालय परिसर के अंदर गड्ढे खोदे गए थे और ‘महान कोश’ की प्रतियों के बंडल उनमें फेंके जा रहे थे। यह देखकर छात्र संगठनों ने मौके पर पहुंचकर हस्तक्षेप किया। छात्रों ने कहा कि ‘महान कोश’ को इस तरह नष्ट करना ‘‘बेअदबी’’ के समान है।
विश्वविद्यालय अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बावजूद विरोध प्रदर्शन दिन भर जारी रहा। यह विवाद तब शुरू हुआ जब पुनर्मुद्रित ‘महान कोश’ की हजारों प्रतियां परिसर में पानी से भरे गड्ढों में फेंक दी गईं, जिससे छात्रों और सिख संगठनों में आक्रोश फैल गया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुरजीत सिंह गढ़ी के नेतृत्व में एक विशेष प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय भेजा। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने भी पंजाबी विश्वविद्यालय द्वारा की गई कथित बेअदबी को गंभीरता से लिया और शुक्रवार को इस कृत्य को बेहद निंदनीय एवं सिख विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया।
एसजीपीसी ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कड़ी आलोचना की और आरोप लगाया कि पुस्तकों को सम्मानपूर्वक गोइंदवाल साहिब में अग्नि को समर्पित करने के बजाय जमीन में दबाकर उन्होंने ‘‘सिख मर्यादा का उल्लंघन’’ किया है। एसजीपीसी के हस्तक्षेप के बाद बची प्रतियां गोइंदवाल साहिब ले जाई गईं जहां गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब के प्रधान ग्रंथी ज्ञानी प्रणाम सिंह ने विधिपूर्वक अरदास की और फिर पुस्तकों का सम्मानजनक तरीके से निस्तारण किया गया।