asd 11 जुलाई से शुरू होंगी शादियां, 5 महीनों में 60 मुहूर्त

11 जुलाई से शुरू होंगी शादियां, 5 महीनों में 60 मुहूर्त

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जालंधर 28 जून। ज्योतिष में शादी के कारक ग्रह शुक्र 75 दिन अस्त रहने के बाद 7 जुलाई को उदय हो रहे हैं और शुक्र के उदय होते ही पिछले 81 दिन से बंद बैंड-बाजा-बारात फिर से शुरू हो जाएंगे। शुक्र 24 अप्रैल को अस्त हुए थे और अस्त होने से तीन दिन पहले ही बाल्यात्व दोष से घिर गए थे। 7 जुलाई को शुक्र के उदय होने के बाद 10 जुलाई को शुक्र इस दोष के दायरे से बाहर आ जाएंगे और 11 जुलाई से शादियों के मुहुर्त शुरू होंगे और इस साल 11 दिसम्बर तक शादी के 60 मुहूर्त निकल रहे हैं।

इस बीच नवम्बर महीने में शादी के सबसे ज्यादा 15 मुहूर्त होंगे, जबकि अगस्त में 12, जुलाई और अक्तूबर में 10-10 और सितम्बर में शादियों के 9 मूहूर्त होंगे। शुक्र के अलावा गुरु भी वृषभ राशि में अस्त चल रहे थे, इस कारण भी शादियां नहीं हो रही थीं। हालांकि गुरु 30 मई को ही उदय हो गए थे लेकिन शुक्र 7 जुलाई को उदय होंगे। ज्योतिष में गुरु को महिलाओं की कुंडली में पति का कारक माना जाता है और यदि शुक्र और गुरु दोनों ग्रह अस्त हों तो शादियां वर्जित हो जाती हैं। ग्रहों की अस्त स्थिति में शादी करने पर वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। लिहाजा हिंदू समाज में इन दोनों ग्रहों के अस्त होने के बाद शादियां नहीं की जाती।

जुलाई में 5 दिन का मुहूर्त
जुलाई में शादी के 5 शुभ मुहूर्त हैं. 9 जुलाई से विवाह समारोह फिर से शुरू होंगे. 9, 11, 12, 13 और 15 जुलाई को शादियां हो सकती हैं. इसके बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से देव सो जाएंगे और चातुर्मास शुरू हो जाएगा. इसलिए शादियां भी बंद हो जाएंगी. इसके बाद फिर से 4 माह के लिए शादी पर प्रतिबंध लागू हो जाता है.

देवउठनी एकादशी से शुभ मुहुर्त
नवंबर में देवउठनी एकादशी पर देव उठेंगे और शादियों का मुहूर्त शुरू हो जाएगा. नवंबर में 12, 13, 16, 17, 18, 22, 23 और 25 नवंबर को शुभ मुहूर्त है. साल के आखिरी महीने दिसंबर में भी शादी हो सकेंगी. तब शादी के लिए 6 शुभ तिथि हैं.

दरअसल शुक्र के उदय होने के साथ ही बुध भी 29 जून को मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में आ जाएंगे और शुक्र भी 6 जुलाई को कर्क राशि में गोचर करेंगे और कर्क राशि में इन दोनों ग्रहों की युति बन जाएगी। ये दोनों ग्रह ज्योतिष में शुभ माने जाते हैं और दोनों ग्रहों की युति से प्रजा में सुख-समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है।

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