नई दिल्ली, 26 दिसंबर। देशभर में आज वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 20 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर पीएम मोदी ने भी इन पुरस्कृत बच्चों से संवाद किया। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार उन बच्चों को दिया गया है, जिन्होंने वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं खेल जैसे क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीर बाल दिवस के मौके पर नई दिल्ली में स्थित भारत मंडपम में बच्चों को संबोधित किया। भारत मंडपम में हुए आयोजन से पहले प्रधानमंत्री ने इस वर्ष वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चों के साथ संवाद भी किया। बच्चों के साथ मुलाकात करने की वीडियो भी सामने आया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, आज देश वीर बाल दिवस मना रहा है। अभी वंदे मातरम की सुंदर प्रस्तुति हुई। आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो भारत का गौरव हैं।्य उन्होंने कहा, वीर साहिबजादे भारत के अदम्य साहस, शौर्य, वीरता की पराकाष्ठा हैं। वीर साहिबजादों ने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया। वे क्रूर मुगल सल्तनत के सामने चट्टान की तरह खड़े हो गए। इससे मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया।
उन्होंने कहा, वीर साहिबजादों को छोटी सी उम्र में उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी। वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य के बीच थी। उस लड़ाई की एक ओर गुरु गोविंद सिंह जी थे, दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी।
उन्होंने कहा कि हमारे साहिबजादे उस समय छोटे ही थे, लेकिन औरंगजेब की क्रूरता को इससे फर्क नहीं पड़ा। वो जानता था कि उसे अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है तो इसके लिए उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा। इसलिए उसने साहिबजादों को निशाना बनाया।
पीएम मोदी ने कहा कि भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत उनके पीछे लग गई, लेकिन चारों साहिबजादों में से एक को भी डिगा नहीं पाई। साहिबजादा अजीत सिंह जी के शब्द आज भी उनके हौसले की कहानी कहते हैं। अजीत सिंह जी ने कहा था कि नाम का अजीत हूं, जीता न जाऊंगा, जीता भी गया तो जीता न आऊंगा। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही हमने गुरु तेगबहादुर को उनके 350वें बलिदान दिवस पर याद किया था। जिन साहिबजादों के पास गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान की प्रेरणा हो, वो मुगल अत्याचारों से डर जाएंगे, ये सोचना ही गलत था। साहिबजादों के बलिदान की गाथा देश में जन-जन की जुबान पर होनी चाहिए थी।
दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही। इस गुलामी का बीज अंग्रेज राजनेता मैकाले ने 1835 में बोया था। उस मानसिकता से देश को आजादी के बाद भी मुक्त होने नहीं दिया गया।
पीएम मोदी ने कहा, श्जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता है। जब भी 26 दिसंबर का दिन आता है, मुझे ये तसल्ली होती है कि हमारी केंद्र सरकार ने साहिबजादों की वीरता से प्रेरित होकर वीर बाल दिवस मनाना शुरू किया।

