नई दिल्ली 18 नवंबर। मोबाइल फोन के 15 अंकों वाले इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आईएमईआई) नंबर सहित अन्य दूरसंचार पहचान से छेड़छाड़ को अब गंभीर अपराध माना जाएगा। यह जानकारी दूरसंचार विभाग ने सोमवार को दी।
दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में तीन साल तक की कैद या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। यह सख्त कार्रवाई टेलीकम्युनिकेशंस एक्ट, 2023 और टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स, 2024 के तहत की जाएगी। विभाग ने यह चेतावनी सभी मोबाइल निर्माताओं, ब्रांड मालिकों, आयातकों, विक्रेताओं और पुनर्विक्रेताओं को जारी की है। विभाग ने कहा कि यह छेड़छाड़ न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि इससे एजेंसियों के लिए अपराधियों को ट्रैक करना , साइबर सुरक्षा कठिन हो जाता है। धारा 42(7) के तहत ऐसे अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती हैं, धारा 42(6) उन लोगों के लिए भी समान सजा तय करती है जो ऐसे अपराधों को बढ़ावा देते हैं या मदद करते हैं। विभाग ने कहा कि ये नियम टेलीकॉम साइबर सुरक्षा रखने, नकली उपकरण रोकने, कानून-प्रवर्तन को सक्षम बनाने, उचित कर-संग्रह के लिए आवश्यक हैं।
दूरसंचार विभाग के मुताबिक, ऐसे उपकरणों का उपयोग करना जिनमें प्रोग्राम करने योग्य आईएमईआई की क्षमता हो, आईएमईआई से छेड़छाड़ के समान है और अधिनियम तथा दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 के अनुसार कानूनी प्रावधानों के अधीन होगा. विनिर्माताओं, ब्रांड मालिकों, आयातकों, विक्रेताओं, पुनर्विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं को पता होना चाहिए कि छेड़छाड़ किए गए या ‘कॉन्फिगर’ करने योग्य आईएमईआई नंबर वाले उपकरणों का विनिर्माण, खरीद, संयोजन या उपयोग करने के गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं.
दूरसंचार नियमों में आयातकों को यह भी अनिवार्य किया गया है कि वे आईएमईआई युक्त किसी भी उपकरण (जैसे मोबाइल हैंडसेट, मॉड्यूल, मॉडेम, सिम बॉक्स, आदि) को भारत में बिक्री, परीक्षण, अनुसंधान और विकास या किसी अन्य उद्देश्य के लिए आयात करने से पहले डिवाइस सेतु – (भारतीय नकली उपकरण प्रतिबंध (आईसीडीआर) पोर्टल पर आईएमईआई नंबर पंजीकृत करें.
दूरसंचार विभाग इस बात पर जोर देता है कि ये नियम दूरसंचार साइबर सुरक्षा बनाए रखने, फर्जीवाड़े को रोकने, कानून लागू करने को सुविधाजनक बनाने और उचित कर संग्रह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं. सख्त अनुपालन भारत के दूरसंचार बुनियादी ढांचे को नकली और छेड़छाड़ किए गए उपकरणों से बचाता है, कानून प्रवर्तन का समर्थन करता है और कर और नियामक पालन सुनिश्चित करता है.

