विकास कार्यों में तेजी लाना और अनुमति में देर ना होने देना वक्त की बड़ी आवश्यकता है। आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा १९९५ के बाद से अब ३० वर्ष उपरांत पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक की वृद्धि की है जिससे अधिकारियों को विभागीय निर्णय लेने में अधिक स्वायत्ता होगी। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिए गए उक्त निर्णय से लगभग ५.५२ गुना वृद्धि की गई है इसलिए यह कहते हुए कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुननिर्धारण आवश्यक है क्योंकि मुख्यमंत्री के निर्णयानुसार अब मुख्य अभियंता को अब 2 करोड़ के स्थान पर 10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा।
अधीक्षण अभियंता को 1 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा
महंगाई और कार्य को बढ़ावा देने को दृष्टिगत रख यह जो निर्णय लिया गया है वो गलत नहीं है लेकिन सबकी तो नहीं कहता मगर जो खबरों में पढ़ने सुनने को मिलता है कुछ अधिकारियों द्वारा विकास कार्यों में गुंणवत्ता का ध्यान ना रख पैसे की बंदरबाट की प्रवृति अपनाई जा रही है उसे देख यह कहा जा सकता है कि वित्तीय अधिकार बढ़ाए ठीक है लेकिन इनकी जवाबदेही भी तय की जाए और समयावधि में गुणवत्ता और मानक के अनुसार काम पूरे करा सके इसके लिए दागी व विवादित अफसरों को जिम्मेदारी ना दी जाए और पांच व दस करोड़ की रकम काफी होती है इसलिए विधायक व सांसद को इन खर्चो पर नजर रखने के अधिकार दिए जाएं कि आवश्यकता पड़ने पर वो संबंधित कार्य व उस पर हुए खर्च की पूरी जानकारी और मौका निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता को ध्यान में रख निर्णय ले सकें और जो काम होने हैं वो सरकार और सीएम की भावनाओं के अनुकुल हो। कहने का आशय है कि पैसे की बंदरबाट और बर्बादी ना हो इसका ध्यान विशेष रूप से रखा जाना चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
