लखनऊ 15 अक्टूबर। रेलवे ने मंगलवार से सड़क परिवहन की तुलना में तेज और किफायती डोर-टू-डोर नई लॉजिस्टिक सेवा शुरू की। इस पहल के तहत तीन प्रमुख सेवाओं की शुरुआत की गई, जो सामान भेजने के तरीके को पूरी तरह से बदल देंगी।
इस पहल की शुरुआत के तहत रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हरी झंडी दिखकर दिल्ली से कंटेनर ट्रेन को रवाना किया। वैष्णव ने कहा कि इसके तहत डोर-टू-डोर लॉजिस्टिक सेवा से क्षमता बढ़ेगी। माल परिवहन कम दरों पर तेजी से होगा। रेलवे की नई सेवा न केवल तेज बल्कि किफायती भी है। सड़क मार्ग से 22.5 टन माल भेजने में जहां लगभग 1.60 लाख रुपये खर्च होते हैं, वहीं ट्रेन से इसकी लागत 1.48 लाख आती है। इससे 12 हजार यानी 7.5 फीसदी की बचत होती है। सड़क मार्ग से 100 घंटे लगते हैं, तो रेल मार्ग से यह दूरी 48 से 60 घंटे में तय होगी।
120 घंटे में डिलीवरी
कार्गो को सड़क से रेलवे की ओर आकर्षित करने के लिए दिल्ली और कोलकाता के बीच एक सुनिश्चित ट्रांजिट कंटेनर ट्रेन सेवा शुरू की है। इसके तहत 120 घंटे के भीतर माल गंतव्य तक पहुंचाने की गारंटी दी गई है। इसका रूट दिल्ली-आगरा-कानपुर-कोलकाता होगा।
दो वर्षों के लिए योजना मंजूर हुई है
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) कुलदीप तिवारी ने बताया कि यह देश की पहली डोर-टू-डोर लॉजिस्टिक्स सेवा है. भारतीय रेल की तरफ से लॉजिस्टिक्स सेवाओं के आधुनिकीकरण व ग्राहक सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. यह परियोजना दो वर्षों के लिए स्वीकृत की गई है. आवश्यकता के अनुसार अगले दो वर्ष के लिए और भी बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सोनिक गुड्स शेड कैटेगरी वन का है.
ये संभालेगा जिम्मेदारी: यहां पर हर माह करीब 13 रैक से खाद्य अनाज, उर्वरक, सीमेंट व अन्य उत्पाद आते हैं. लगभग 80 कोच लोडिंग के लिए हैं. सीनियर डीसीएम ने बताया कि कॉन्कोर गुड्स शेड सफाई, परिसंपत्तियों के रखरखाव सभी कानूनी और पर्यावरणीय नियमों की जिम्मेदारी संभालेगा. कॉन्कोर ही गोदाम, कंटेनर स्टोरेज आदि का विकास भी करेगा. रेलवे की जमीनों पर बनने वाली परिसंपत्तियां रेलवे की ही होंगी. यहां पर मजदूरों और व्यापारियों के लिए सार्वजनिक उपयोग की सुविधाएं भी होंगी.
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि यह परियोजना रेलवे परिसंपत्तियों के बेहतर उपयोग, माल ढुलाई की दक्षता बढ़ाने और ग्राहकों को एकीकृत लॉजिस्टिक्स समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है. भारतीय रेल की कनेक्टिविटी को डोर-टू-डोर लॉजिस्टिक्स सेवा मजबूत करेगी.