नई दिल्ली 26 सितंबर। गृह मंत्रालय ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एनजीओ स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) का एफसीआरए लाइसेंस गुरुवार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
यह कार्रवाई संगठन के खातों में पाई गई कथित विसंगतियों पर आधारित थी, जिसमें स्वीडन से प्राप्त फंड ट्रांसफर भी शामिल था, जिसे राष्ट्रीय हित के विरुद्ध पाया गया। एसईसीएमओएल को इससे पहले कारण बताओ नोटिस जारी कर लेनदेन में पाई गई अनियमितताओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच झड़प में चार मौतों के एक दिन बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
उनके एनजीओ एचआईएएल और स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख पर विदेशी चंदा कानून के उल्लंघन का आरोप है।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में 24 सितंबर को आंदोलन हुआ था। इस दौरान हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी। 80 से ज्यादा आंदोलनकारी और 30 सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए थे।
सीबीआई की टीमें लद्दाख में डेरा डाले हुए हैं। सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। सीबीआई टीम एनजीओ के अकाउंट्स और रिकॉर्ड की जांच कर रही है।
इस मामले में वांगचुक ने कहा कि करीब 10 दिन पहले सीबीआई की टीम गृह मंत्रालय का आदेश लेकर उनके पास आई थी। इसमें कहा गया था कि उनकी दोनों संस्थाओं ने विदेशी चंदा लेने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली।
इस पर सोनम का कहना है कि उनकी संस्थाएं विदेशी चंदे पर निर्भर नहीं हैं। दोनों संस्थाएं जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं। एचआईएएल में तो छात्रों को प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए स्टाइपेंड भी दिया जाता है।
बता दें कि सुरक्षा एजेंसियां सोनम वांगचुक की संस्था से संबंधित वित्तीय मामलों के साथ उनकी पाकिस्तान यात्रा की जांच कर रही हैं। लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और उसे छठी अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर बीते पांच वर्ष से मांग हो रही है। इसी मांग के समर्थन में लद्दाख में विभिन्न संगठनों ने एक साझा मंच बनाया हुआ है। अपनी मांगों को लेकर 10 सितंबर से लेह में सोनम वांगचुक के नेतृत्व में अनशन जारी था।
यह अनशन बुधवार को हिंसा में बदल गया। इसके बाद सोनम वांग्चुक ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर चुपचाप अपने गांव चले गए। पुलिस व अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लेह हिंसा में सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है।सरकार के अनुसार यह मिली अनियमितताएं- गृह मंत्रालय ने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट आफ लद्दाख (सेकमोल) को वित्तीय विसंगतियों के मामले में नोटिस भी जारी किया था।
आरोप है कि वांगचुक ने संस्था के एफसीआरए खाते में साढ़े तीन लाख रुपये जमा कराए और इसमें सेक्शन 17 का उल्लंघन हुआ। संस्था ने इस पर स्पष्टीकरण दिया था कि यह राशि 2015 में एफसीआरए फंड के तहत खरीदी गई एक बस की बिक्री से प्राप्त हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार पैसा नकद लिया गया और यह सेक्शन 17 का उल्लंघन है और इसका संस्था ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। – इसके अलावा 3.35 लाख रुपये की राशि विदेशी फंडिंग से मिलने की सूचना संस्था ने दी थी।
हालांकि यह एंट्री एफसीआरए खाते में नहीं दिखाई गई और यह सेक्शन 18 का उल्लंघन है। – स्वीडन से मिली 4.93 लाख की सहयोग राशि भी मंत्रालय की जांच के घेरे में है। यह राशि जागरूकता अभियान चलाने के नाम पर मिली थी। संस्था का दावा था कि राशि का नियमानुसार उपयोग किया गया और केवल शिक्षण कार्यों पर ही खर्च हुआ।
सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि संप्रभुता के मुद्दे पर विदेश से सहायता नहीं प्राप्त की जा सकती। इन अनियमितताओं के आधार पर सरकार ने गुरुवार को संस्था का लाइसेंस तत्काल रद करने का आदेश जारी कर दिया।संस्था से जमीन वापस लेने व विदेशी चंदे की जांच के बाद से उग्र हैं लेह के हालात पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय संगठनों के साथ केंद्र सरकार की हाई पावर्ड कमेटी की बातचीत लगातार आगे बढ़ रही थी।
सोनम वांगचुक शुरू से ही लद्दाख के संदर्भ में केंद्र सरकार की नीतियों के विरोधी रहे हैं, लेकिन वह खुद को स्थानीय संगठनों के आंदोलन से अलग रखे हुए थे। जबसे उन्होंने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाना शुरू की, हालात बदलते गए। उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीच्यूट आफ आल्टरनेटिव्य लद्दाख को आवंटित जमीन वापस लिए जाने और विदेशों से चंदा प्राप्त करने के मामलों की जब से जांच शुरू हुई है, वह पूरी तरह से उग्र हो चुके हैं।