सभी राजनीतिक दल देशभर में शाति और कानून व्यवस्था बनाने और अपराध रोकने की मांग सरकार से करने में नहीं चूक रहे हैं और यह सही भी है क्योंकि आए दिन मीडिया में पढ़ने सुनने देखने को बलात्कार चोरी लूट और जबरदस्ती का आतक फैलाने की खबरे खूब पढ़ने को मिल रही है मगर क्या इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार है। तो सीधे यही समझा जा सकता है कि अपराधियों पर अंकुश का काम सरकार का है और वो शायद ऐसा नहीं कर पा रही है।
मगर पिछले कुछ सालों में जिस तरह से अपराधियों की मौत पर कुछ लोगों द्वारा घड़ियाली आंसू बहाए जाते हैं और उनकी मौत को हत्या करार देकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं तथा जांच की मांग की जाती है। वो नेता जब यह अपराधी सड़क पर आम आदमी को पीटते है उनकी संपत्तियों पर कब्जा और बहन बेटियों से छेड़छाड़ करते हुए अपना आतंक फैलाते हैं तब इनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग क्यों नहीं की जाती। मैं किसी दल या उम्मीदवार का समर्थक तो नहीं हूं लेकिन एक आम आदमी के अधिकार के तहत मैं भी चाहता हूं कि हर काम पारदर्शी वातावरण में हो। भ्रष्टाचार खत्म हो और अपराधियों पर नकेल कसे लेकिन यही कहा जा सकता है कि जो अपराध बढ़ रहे हैं उसमें कहीं ना कही असामाजिक तत्वों और मौत पर आंसू बहाने वालों को समझना होगा कि जनता का उत्पीड़न होगा तो उसके परिणाम भी सामने आएंगे ही। ऐसा होने पर किसी ना किसी को नुकसान होना ही है। अब अपराधियों की मौत पर आंसू बहाने वाले सोच लें कि वो जनता का समर्थन चाहते हैं या अपराधियों की पैरवी। जनता हो या नेता सबको एक विषय अब चुनना ही होगा।
अपराधियों की मौत पर आंसू बहाने वाले चाहते क्या हैं
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