प्रयागराज 11 नवंबर। अगाध आस्था को समाहित करने वाला महाकुंभ रोजगार के ढेरों अवसर भी ले आया है। खासतौर पर स्वच्छ महाकुंभ से तो महिलाओं पर स्वयं लक्ष्मी की कृपा बरसने जा रही है। स्वच्छ महाकुंभ के तहत संगम की रेती पर बसने वाली तंबुओं की नगरी को प्लास्टिक मुक्त रखने की मुहिम चलाई जा रह है।
इसके तहत प्लास्टिक व फोम के पत्तल, दोना और गिलास आदि का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके विकल्प के रूप में पत्तों के पत्तल, दोना और कुल्हड़ को रखा गया है।
पत्तल, दोना कुल्हड़, जूट बैग, कपड़े के थैले के लिए उत्तर प्रदेश के 28 जिलों के साथ बिहार, मप्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड की महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई है। सभी प्रदेशों के 86 जिलों के समूहों द्वारा ये उत्पाद तैयार कराए जा रहे हैं। इन राज्यों के 14 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों की लगभग सवा लाख महिलाओं को पत्तल और दोना तैयार करने में लगा दिया गया है।
महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है, जिसके मुताबिक 60 करोड़ से ज्यादा पत्तल-दोना की आवश्यकता जताई गई है। ये पत्तल-दोना महाकुंभ में सप्लाई होंगे।इसमें मेला प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन को लगाया गया है।
दो आइएएस अधिकारियों के साथ छह पीसीएस अधिकारी इस मुहिम में लगाए गए हैं। महाकुंभ की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राना और सीडीओ गौरव कुमार इसके नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो सप्लाई चेन देंगे, जिसे महाकुंभ में बिक्री कराई जाएगी।
इस बार प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध
अखाड़ों से लेकर भंडारों और अन्न क्षेत्र में इस बार प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध है, इनमें भी पत्तों के दोना-पत्तल और कुल्हड़ दिया जाएगा। ये दोना-पत्तल और कुल्हड़ उचित दर पर दिए जाएंगे। इसके लिए हर सेक्टर में 10-10 दुकानें खोली जाएंगी। मतलब सभी 25 सेक्टरों में 250 तथा शहर में 50 स्पेशल दुकानें इसकी बिक्री के लिए खोली जाएंगी। अखाड़ों और भंडारों में मेला प्रशासन अपने वाहनों से पत्तल-दोना भेजने की व्यवस्था भी करेगा।