आज देश के हर घर में चाहे खुद आदमी कितना ही बीमार क्यों ना हो लेकिन दूसरों को इलाज के अनेक उपाय बताने में कोई पीछे नजर नहीं आता है। इसी प्रकार जिसे क्रिकेट का कोई एबीसी नहीं पता वह भी समीक्षा करता है कि खिलााड़ी को क्या करना चाहिए था। सुबह से रात तक लोग एक दूसरे को सलाह देने या उनकी कमियां निकालने में महारथ हासिल कर चुके होते हैं। वो बात और है कि उनसे अपना घर परिवार ना संभलता हो। ऐसा करने की आदमी पर खूब फुर्सत है लेकिन वह अपनी समस्याओ का समाधान जहां हो सकता है और जिस प्रकार हो सकता है यह सोचने बोलने व कुछ करने को तैयार नहीं है या तो सरकार को दोषी ठहराता रहेगा या अपने से आर्थिक रूप से मजबूत व्यक्ति को। इस सोच के बढ़ते आजकल स्थिति यह हो गई है कि हम अपनी परेशानियां खुद बढ़ा रहे हैं और उन कमियों की ओर ध्यान नहीं दे रहे जबकि हर क्षेत्र में ध्यान दिया जाए वरना प्रयास होने के बावजूद भी कमजोर और कमजोर व समर्थ ज्यादा समर्थ होता रहेगा। तब स्थिति क्या होगी इस पर मनन करने और सोचने की बड़ी आवश्यकता है क्योंकि हमारी इस कमी का कुछ विकृत सोच और लालची खूब लाभ उठा रहे हैं। यह सब जगह हो रहा है। हर साख पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्ता क्या होगा और अंधेरी नगरी चौपट राजा वाली कहावत साकार होती नजर आ रही है।
सर्दी जैसे जैसे बढ़ रही है सरकार शासन प्रशासन जरूरतमंदों को ठंड से बचाने लिए अलाव जलवा रही है। हर सुविधा जुटा रही है। मगर सही मायनों में पूर्ण रूप से वहां ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। सरकार और समाजसेवियों का पैसा खर्च हो रहा है और जरूरतमंद ठंड से ठिठुर रहे हैं। अस्पतालों में इलाज के लिए भरपूर पैसा दवाई और सुविधाएं मिल रही है। लेकिन जरूरतमंदों को ना तो पूर्ण रूप से दवाई मिल रही है ना माहौल। अच्छी व्यवस्था में इलाज की मंशा के बाद भी पढ़ने को मिलता है कि वार्ड वॉय ने महिला से अभद्र व्यवहार किया या खिड़की टूटने से मरीज ठिठुर रहे हैं। समाज सरकार और जिम्मेदार अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए प्रयास करते नजर आ रहे हैं लेकिन शादी में गई बच्ची से यौन उत्पीड़न होने की खबरें भी खूब सुनने को मिल रही है क्योंकि हम सोचते हैं कि हमारे बच्चे तो रिश्तेदारों के बीच है और कुछ रिश्तेदार परिचित की गलत भावना क्या सोच रही है इससे बच्चों को बचाने की ओर हमारा ध्यान नही है। सरकार गरीबों को दो समय की रोटी उपलब्ध कराने के लिए मुफ्त अनाज की सुविधा दे रही है मगर उनका लाभ कौन ले रहा है यह कोई देखता नहीं है। अगर हम चौकस नहीं है तो हमारे हितों पर दूसरे डाका डालते रहेंगे और हमारे बच्चे हर माहौल में असुरक्षित रहेंगे। जो सुविधा हमें मिलनी चाहिए उससे हम वंचित ही रहेंगे। ऐसा ना हो इसके लिए मेरा मानना है कि ना किसी पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करो क्योंकि कब कोई दोस्त आपके फोटो इंटरनेट पर डाल दे कोई भरोसा नहीं है। शादी में यह भी ध्यान रखना होगा कि बच्चों पर किसी की गंदी नजर तो नहीं पड़ रही। क्योंकि जहां तक देखा है सबसे खतरनाक ऐसे ही लोग होते हैं जो रिश्तेदारी की आड़ में सबकुछ गलत करने की सोचते हैं। जो हमें नजर आ रहा है कि हमें सरकार जो सुविधाएं उपलब्ध करा रही है वो हम तक नहीं पहुंच रही है तो ऐेसे में हमें यह सोचना होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है। अपनी समस्या और घोटालों की शिकायत करने में देर नहीं लगानी चाहिए। इतनी फुर्सत किसे हैं तो अपनी समस्या को प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री या अफसरों को इंटरनेट से भेजो तो काफी कठिनाईयों का हल होगा। जो परेशानियों से मुक्त होंगे वो आपकी मदद करने में पीछे नहीं रहेंगे। वरना हम यही सोचते रहें कि ऐसा कब तक होता रहेगा और हमारे हकों पर दूसरे क्यों हक जमा रहे हैं। इससे बचने के लिए सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल करो। जागरूकता सबके हित का काम करेगी।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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