Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • गुजरात और कर्नाटक के स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार से अब देश के 25 करोड़ बच्चे भी हो सकते हैं लाभांवित, सरकार पूर्णता और शुद्धता के लिए बनाए निगरानी समिति, फर्जी स्कूलों पर ?
    • आमदनी और टीआरपी बढ़ाने के लिए फिल्मी अदाकारा युवा पीढ़ी के बारे में भी सोचें
    • पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार और उनकी हत्या तथा चर्म पर पहुंच रहे भीड तंत्र को रोका जाए चाहे कुछ भी करना पड़े, केरल में मजदूर रामनारायण की हत्या क्यों?
    • डॉक्टरों ने डिलीवरी करते हुए पेट में छोड़ा आधा मीटर कपड़ा, CMO समेत 6 पर FIR
    • गैंगस्टर विनय त्यागी की उपचार के दौरान अस्पताल में मौत, हरिद्वार में बदमाशों ने मारी थी गोली
    • सलमान खान ने फार्महाउस पर मनाया अपना 60वां जन्मदिन, सजी स्टार्स की महफिल
    • 10 खापों की पंचायत ने 18 साल से कम उम्र के लड़कों के हाफ पैंट पहनने और स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर लगाया प्रतिबंध
    • हाईवे पर 85 लाख की लूट में 6 बदमाश गिरफ्तार
    Facebook Instagram X (Twitter) YouTube
    tazzakhabar.comtazzakhabar.com
    Demo
    • न्यूज़
    • लेटेस्ट
    • देश
    • मौसम
    • स्पोर्ट्स
    • सेहत
    • टेक्नोलॉजी
    • एंटरटेनमेंट
    • ऑटो
    • चुनाव
    tazzakhabar.comtazzakhabar.com
    Home»देश»विधेयकों पर राज्यपाल एवं राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
    देश

    विधेयकों पर राज्यपाल एवं राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

    adminBy adminNovember 21, 2025No Comments3 Views
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn WhatsApp Reddit Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    नई दिल्ली 21 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा कि वह विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा तय नहीं कर सकता। साथ ही स्पष्ट किया कि राज्यपाल को अनिश्चित काल तक ‌किसी विधेयक को रोके रखने का अधिकार भी नहीं है।

    मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद-143 के तहत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पूछे गए संवैधानिक सवालों का जवाब देते हुए फैसला दिया। पीठ ने कहा, अदालत अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल कर विधेयकों को डिम्ड असेंट (स्वत: मंजूर मान लेना) घोषित नहीं कर सकती। यह अवधारणा न सिर्फ संविधान की भावना के खिलाफ है बल्कि शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत का भी उल्लंघन है। यह राज्यपाल के कामकाज पर अतिक्रमण के समान है।

    पीठ ने कहा, हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि समय सीमा खत्म होने पर राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को स्वत: मंजूरी घोषित करना, वास्तव में न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका के कामों पर कब्जा करना और उन्हें बदलना है। यह ठीक नहीं है।

    हालांकि, पीठ ने कहा कि राज्यपाल लंबे समय तक या बिना वजह मंजूरी देने में देरी करते हैं तो अदालत कुछ निर्देश जारी कर सकती है। अनुच्छेद 200 विधेयकों को मंजूरी देने की शक्ति से जुड़ा है, जबकि अनुच्छेद 201 जो राष्ट्रपति के विचार के लिए रखा गया है।

    संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ
    सर्वसम्मति से पारित फैसले में पीठ ने कहा, यदि राज्यपाल को अनुच्छेद 200 के तहत विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोके रखने की मंजूरी दी गई तो यह संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ होगा। पीठ ने कहा, राज्यपाल और सदन के बीच संवैधानिक बातचीत शुरू करने वाला पहला प्रोवाइजो और अनुच्छेद 200 के जरूरी हिस्से के तहत राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करने का विकल्प, भारतीय संघवाद की सहयोगात्मक भावना दिखाता है। यह संविधान में बताए गए चेक-एंड-बैलेंस मॉडल के पहलू को भी सामने लाता है।

    राज्यपाल सिर्फ धन विधेयक को वापस नहीं कर सकते
    पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल धन विधेयक को वापस नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि इसके बहुत बड़े कारण हैं कि विधेयक को टिप्पणियों के साथ सदन को वापस करने के अधिकार के अलावा इसे रोकने का कोई आसान पावर नहीं हो सकता। पहला प्रोवाइजो (पहला खण्ड) में राज्यपाल ‌को विधेयक को सदन में वापस करने से रोकता है, अगर यह धन विधेयक है। इसलिए, धन विधेयक के मामले में राज्यपाल की शक्ति या तो विधेयक को मंजूरी देने या इसे राष्ट्रपति के पास भेजने तक ही सीमित है। हालांकि, संविधान पीठ ने साफ किया कि अगर विधेयक को रोकने का विकल्प अनुच्छेद 200 के मुख्य हिस्से में पढ़ा जाता है, तो धन विधेयक को भी आसानी से रोका जा सकता है।

    राज्यपाल को न्यायिक कार्यवाही से व्यक्तिगत छूट
    शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद-361 के तहत राज्यपाल को न्यायिक कार्यवाही से प्राप्त छूट के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि राज्यपाल को व्यक्तिगत छूट प्राप्त है, लेकिन राज्यपाल का संवैधानिक पद (कांस्टीट्यूशनल आफिस) इस कोर्ट के क्षेत्राधिकार के अधीन है। अनुच्छेद-200 में लंबे समय तक राज्यपाल की निष्कि्रयता की स्थिति में इसके प्रयोग करने का कोर्ट को अधिकार है।

    जब संविधान में समयसीमा तय नहीं, तो कोर्ट भी नहीं कर सकता
    शीर्ष अदालत ने राज्यपाल और राष्ट्रपति के विधेयकों पर निर्णय पर के बारे में कोर्ट द्वारा समयसीमा तय करने पर कहा कि जब संविधान के अनुच्छेद-200 में निर्णय लेने के लिए राज्यपाल के लिए कोई समयसीमा या तरीका तय नहीं है तो इस अदालत के लिए समयसीमा तय करना उचित नहीं है।

    और न ही राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय करना ठीक है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति अनुच्छेद-201 के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने के लिए कोर्ट द्वारा तय समयसीमा से नहीं बंधी हैं।

    हर विधेयक पर राष्ट्रपति को राय लेने की जरूरत नहीं
    सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि संवैधानिक योजना में राष्ट्रपति को हर बार राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयक पर अनुच्छेद-143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से राय लेने की जरूरत नहीं है।

    यह राष्ट्रपति की संतुष्टि पर है कि वह जब चाहें, तब राय ले सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी विधेयक के कानून बनने से पहले कोर्ट विधेयक की विषयवस्तु पर न्यायिक निर्णय नहीं ले सकता।

    CJI BR Gavai Droupadi Murmu Presidential Reference supreme-court tazza khabar tazza khabar in hindi
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Telegram Email
    admin

    Related Posts

    गुजरात और कर्नाटक के स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार से अब देश के 25 करोड़ बच्चे भी हो सकते हैं लाभांवित, सरकार पूर्णता और शुद्धता के लिए बनाए निगरानी समिति, फर्जी स्कूलों पर ?

    December 27, 2025

    आमदनी और टीआरपी बढ़ाने के लिए फिल्मी अदाकारा युवा पीढ़ी के बारे में भी सोचें

    December 27, 2025

    पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार और उनकी हत्या तथा चर्म पर पहुंच रहे भीड तंत्र को रोका जाए चाहे कुछ भी करना पड़े, केरल में मजदूर रामनारायण की हत्या क्यों?

    December 27, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    © 2025 Tazza khabar. All Rights Reserved.
    • Our Staff
    • Advertise

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.