मुंबई 29 अक्टूबर। ऐसे चमत्कार कम ही होते हैं। परिवार से 22 साल पहले अलग हुई मध्य प्रदेश के सागर जिले की एक महिला की तो परिवार ने तेरहवीं तक कर दी थी। लेकिन, नागपुर मानसिक अस्पताल और मध्य प्रदेश के सागर जिले की पुलिस की मेहनत से लंबे समय तक घर से बाहर रही महिला फिर से अपने स्वजन से मिल सकी।
नागपुर रीजनल मेंटल हास्पिटल की सोशल सर्विस सुपरिनटेंडेंट कुंदा बिदकर बताती हैं कि करीब 14 वर्ष पहले 2011 में एक महिला स्थानीय पुलिस द्वारा मेरे अस्पताल में लाई गई थी। उस समय वह बदहवास स्थिति में थी। अपना नाम तक नहीं बता पाती थी। बहुत कम और धीरे-धीरे बोलने वाली 50 की उम्र पार कर चुकी महिला के मुंह से एक बार ‘नोमा’ शब्द निकला तो पागलखाने में उसका नाम ‘नोमा’ ही दर्ज कर दिया गया।
इस नाम से उसके घर-परिवार की तलाश अंधेरे में तीर चलाने जैसा था। लेकिन कुंदा बिदकर ने हार नहीं मानी। उससे बात करते-करते एक दिन अचानक उसके मुंह से अपने गांव का नाम अटाटीला निकल पड़ा। इस गांव के पड़ोसी गांव का नाम भी मेहरगांव उसने बता दिया। गूगल पर सर्च करने पर ये दोनों गांव मध्य प्रदेश के सागर जिले के निकले। अस्पताल ने पता किया तो ये दोनों गांव सागर के बांदरी पुलिस थाने के अंतर्गत आते थे।
वहां के थाना इंचार्ज से अटाटीला गांव में किसी गायब महिला के बारे में पता लगाने का निवेदन किया गया, तो पता चला कि वहां से करीब 22 साल पहले एक महिला गायब हुई थी। जब कुंदा बिंदकर ने मध्य प्रदेश पुलिस से मिली सूचना के आधार पर उस परिवार से संपर्क साधा गया तो परिवार के लोग महिला की तस्वीर देखकर उसे पहचान गए और बताया कि वे लोग तो उसकी तेरहवीं तक कर चुके हैं। लेकिन उसके जिंदा होने की खबर सुनकर उसका पति, तीन बेटे और दो बेटियां खुश भी बहुत हुए।
पत्नी से मिलने के बाद उसके पति ने बताया कि दोनों का विवाह 12 वर्ष की उम्र में ही हो गया था। इस समय दोनों की उम्र 68 वर्ष है।सोमवार को महिला के पति और उसके तीनों बेटे उसे लेने नागपुर रीजनल मेंटल हास्पिटल पहुंचे। अपने पति को देखकर महिला खुश हुई तो अस्पताल के अधिकारियों को भी संतोष हुआ कि वह सही हाथों में पहुंच गई है।

