आए दिन शहर के मुख्य बाजारों और मार्गों पर लगने वाले जाम और उससे आम आदमी को होने वाली समस्याओं तथा आवागमन प्रभावित होने और इस कारण से आम आदमी के कुछ कार्यों में बाधा उत्पन्न होने से शायद कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। और यह भी सब जानते हैं कि यह स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस और पुलिस इसके मूल कारणों को समाप्त करने की बजाय आम नागरिकों के चालान काटकर शायद सोचती है कि व्यवस्था बन जाएगी मगर लगता है कि ऐसा होने वाला नहीं है।
आला अफसर चाहें प्रशासन के हो या पुलिस के यहां से लेकर लखनऊ दिल्ली तक सबकी यह भावनाएं नजर आती हैं कि नागरिकों को कहीं भी आने जाने में परेशानी ना हो। इसके लिए उपाय भी किए जाते हैं। मगर उसका सही तरीके से लागू कराना और जो उसके लिए जिम्मेदार है उनके खिलाफ कार्रवाई ना होने से यह स्थिति सुरसा के मुंह की भांति और विकराल होती जा रही है।
नागरिकों के अनुसार सड़कों के किनारे घेरकर अवैध रूप से मेडा आवास विकास और कैंट बोर्ड व नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता अथवा कुछ की मिलीभगत से जो मुख्य मार्गाे व हाईवे पर मंडप अवैध रूप से बन रहे हैं व दुकानों के आगे सड़क घेरने व उससे भी आगे वाहन खड़ा कर देने, अनियंत्रित वाहन इस समस्या का मुख्य कारण है लेकिन जितना देखने को मिलता है इसमें सुधार ना कर नागरिकों के चालान काटने पर ज्यादा जोर दिया जाता है। कुछ नागरिकों के इस कथन से मैं भी सहमत हूं कि ट्रैफिक पुलिस वाहन चालकों को परेशान करने की बजाय अभियान चलाकर दुकान से ज्यादा सामान सड़क पर लगाने वाले सभी निर्माण नियमों को ताक पर रखकर अफसरों की मिलीभगत से नालों की जमीन घेरकर होने वाले अवैध निर्माण और विवाह मंडपों के बाहर लगने वाली वाहनों की भीड़ जो जाम का कारण बनती है उसके लिए विवाह मंडप के बाहर खड़े वाहन हो उस पर एक लाख का जुर्माना लगाया जाए और उसी का चालान काटा जाए आने वाले अतिथियों का नहीं क्योंकि जब किसी परिचित के यहां कार्य है तो जाना ही पड़ेगा। उसी के हिसाब से वाहन खड़ा कराने की व्यवस्था की जाए। दूसरा जाम का कारण अवैध निर्माण जहां मिले उस क्षेत्र के संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ भी एफआईआर कराई जाए क्योंकि यह सभी काम सरकार की नीति नियमों के खिलाफ और सीएम की भावनाओं के विपरीत होने से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इन मंडपों में आने वाले लोगों के चालान काटना सही नहीं है। मेरा मानना है कि क्षेत्रीय सांसद विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों से मिलकर यह सुनिश्चितक कराना चाहिए कि जबरदस्ती चालान ना काटे जाएं। क्योंकि यह उत्पीड़न भी है। वाहन मालिक को पता नहीं चलता और उसके चालान कर दिए जाते हैं। मंडप स्वामी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। शायद यही कारण है कि रात के समय मंडपों के चलते जाम की समस्या उत्पन्न होती है। आश्चर्य इस बात का है कि लाखों रूपये मंडप बुक करने वाले अपने आदमी भी खड़े नहीं करते जो वाहनों को खड़ा करा सकें।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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