बरेली 24 दिसंबर। युवाओं को शेयर और फॉरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर करोड़पति बनाने का सपना दिखाने वाला कैनविज ग्रुप असल में एक सुनियोजित लूट मशीन निकला। कंपनी के मालिक कन्हैया गुलाटी और उसके गिरोह के खिलाफ बारादरी पुलिस ने करीब 800 करोड़ रुपये की महाठगी में अब तक की सबसे बड़ी एफआईआर दर्ज की गई है।
कैनविज ग्रुप ने बरेली समेत कई जिलों में चमचमाते दफ्तर, बड़े-बड़े होर्डिंग, होटल और मैरिज हॉल में भव्य सेमिनार कर लोगों को भरोसे में लिया। युवाओं को बताया गया कि पैसा लगाओ, हर महीने तय मुनाफा पाओ और 22 महीने में रकम दोगुनी। इसी लालच में हजारों लोग जाल में फंसते चले गए। चौंकाने वाली बात यह है कि इसी शातिर ठग के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने में 18 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
कैनविज की शुरुआत एक छोटे से किराए के ऑफिस से हुई थी। साल 2007 में कैनविज सेल्स एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी रजिस्टर की गई। शुरुआती दिनों में छह लोगों की एक टीम ने नेटवर्क मार्केटिंग के जरिए लोगों को जोड़ना शुरू किया। मॉडल सीधा था। कम निवेश, ज्यादा रिटर्न और हर नए सदस्य पर कमीशन।
2007 से 2014 के बीच कंपनी ने दावा किया कि उसने चार लाख से ज्यादा लोगों को अपने नेटवर्क से जोड़ लिया है। धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता गया और 2024 तक यह संख्या करीब 20 लाख तक पहुंच गई। यही वह दौर था जब कैनविज उत्तर प्रदेश से निकलकर बिहार और झारखंड में तेजी से फैली।
घर-घर एजेंट, युवाओं पर सीधा हमला
शाहजहांपुर के विरेंद्र प्रताप ने बारादरी थाने में दर्ज कराई एफआईआर में बताया कि कंपनी ने घर-घर एजेंट भेजकर खासतौर पर युवाओं को निशाना बनाया। किसी ने 25 हजार, तो किसी ने 25 लाख रुपये तक झोंक दिए। सिर्फ नगर पंचायत बंडा (शाहजहांपुर) से ही करीब 5 करोड़ रुपये कैनविज में फंस गए। शुरुआत में कुछ महीनों तक भुगतान कर भरोसे की नींव रखी गई, लेकिन मई 2025 से अचानक भुगतान बंद कर दिया गया। मूलधन लौटाने के नाम पर दिए गए चेक बैंक पहुंचते ही बाउंस होने लगे। कहीं खाते बंद, तो कहीं बैलेंस शून्य है।
अब न कंपनी का दफ्तर है, न कोई जिम्मेदार। कन्हैया गुलाटी और उसका पूरा गिरोह फरार है। निवेशकों को आशंका है कि करोड़ों रुपये विदेश भेज दिए गए हैं। टैक्स और टीडीएस तक जमा नहीं किया गया। यह सिर्फ ठगी नहीं, बल्कि हजारों युवाओं के सपनों की हत्या है। कई लोगों ने घर गिरवी रखकर, बैंक और फसल ऋण लेकर निवेश किया था। अब किस्तें नहीं भर पा रहे, बैंक नोटिस भेज रहे हैं, घरों में तनाव और हताशा पसरी है। कई पीड़ित खुलकर कह रहे हैं कि हम पूरी तरह टूट चुके हैं।
बढ़ते दबाव के बीच एसएसपी अनुराग आर्य ने वीडियो बयान जारी कर कार्रवाई तेज करने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि मामले की गुणवत्तापरक जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया गया है। एसपी यातायात अकमल खान को एसआईटी प्रभारी और एएसपी शिवम आशुतोष को सहयोगी बनाया गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगा दी गई हैं।
कन्हैया गुलाटी और उसकी टीम के खिलाफ अब तक 36 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ये मुकदमे बरेली, शाहजहांपुर, सीतापुर, बदायूं, बिहार और झारखंड में दर्ज हैं। अलग-अलग मामलों में ठगी, धोखाधड़ी, धमकी और जालसाजी के आरोप हैं।
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने पूरे मामले की जांच के लिए दो एसआईटी गठित की हैं। एसएसपी का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि संगठित ठगी का मामला है।
जांच के दौरान सामने आया कि कन्हैया गुलाटी ने बरेली के स्टेडियम रोड स्थित अपना मकान भी बेच दिया है। यह सौदा एक महीने पहले हुआ और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसके बाद वह पत्नी, बेटे और मां के साथ भूमिगत हो गया। पुलिस को आशंका है कि वह देश छोड़कर भाग सकता है, इसी वजह से उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।
जांच में खुलासा हुआ है कि कैनविज ने फैमिली इंडिपेंडेंस मैजिक इनकम जैसी कई योजनाएं चलाईं। ढाई साल तक हर माह दो-तीन हजार रुपये देने का वादा किया गया। शुरुआत में एक-दो महीने भुगतान हुआ, फिर चेक थमाकर पल्ला झाड़ लिया गया। आज हाल यह है कि लोग 35-35 लाख रुपये के बाउंस चेक लेकर थानों के चक्कर काट रहे हैं।

