इंडिगो की फ्लाइट रद होने से परेशान यात्रियों की कठिनाईयों में कमी के लिए आखिर सरकार सक्रिय तो हुई क्योंकि पीएम मोदी का कहना है कि कानून लोगों की सुविधा के लिए होने चाहिए तो नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि इंडिगो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और दस प्रतिशत उड़ानों में कटौती भी की गई और डीजीसीए का भी कड़ा एक्शन शुरू हो गया। सरकार ने दस आईएएस अफसर हवाई अडडों पर जांच के लिए भेजे हैं। नायडू का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे लेकिन जो दिखाई दे रहा है उससे पता चलता है कि कंपनियां मुनाफे का खेल खेल रही है क्योंकि रद टिकटों का पैसा लौटाया जा रहा है लेकिन मुआवजे पर चुप्पी साध ली गई है। विपक्ष द्वारा इस मामले पर तंज कसते हुए सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताते हैं कि लखनऊ समेत यूपी के तीन हवाई अडडों से २३ उड़ने रद हुई और कटौती के बाद २२० उड़ाने कम हो जाएंगी। सवाल उठता है कि इंडिगो और अन्य विमान कंपनियों द्वारा जो लाभ का खेल खेला जा रहा है उससे नागरिकों की समस्याएं और बढ़ रही है। इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को राम मोहन नायडू द्वारा तलब किया गया। लेकिन इस सबका यात्रियों को लाभ नहीं हो रहा। मेरा मानना है कि सरकार इंडिगो पर नकेल कस रही है। उड़ाने ठीक करने का प्रयास कर रही है लेकिन इसके बावजूद यात्रा स्थगित होने से यात्रियों के नुकसान की भरपाई कैसे हो। विमान पायलटों की कमी से यात्रियों को क्या लेना देना। अभी यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इंडिगो की जगह कौन सी एयरलाइन नई सुविधा देगी। मेरा मानना है कि नागरिक उडडयन मंत्रालय रिफंड के साथ साथ यात्रियों को मुआवजा उपलब्ध कराए तथा जिन यात्रियों की नौकरी प्रभावित हो रही है उन पर एक्शन लें और आदेश करे कि किसी की नौकरी नहीं जानी चाहिए और वेतन ना काटा जाए। जो यात्री बीमारी के कारण परेशानी महसूस कर रहे हैं उन्हें इलाज के साथ सुविधा उपलब्ध कराई जाए क्योंकि ऐसे मामलों में होने वाले नुकसान से परेशान लोगों पर डबल मार पड़ सकती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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