चमोली 25 नवंबर। विश्व प्रसिद्ध चारधाम में शुमार बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के बंद कर दिए हैं. कपाट आज दोपहर 2:56 बजे विधि-विधान से बंद कर दिए गए. कई लोग इस खास पल के साक्षी बने. वहीं, इस मौके पर बदरी विशाल के दरबार को फूलों से सजाया गया. जिससे धाम की छटा देखते ही बन रही थी.
बता दें कि बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर बंद हो गए हैं. इस दौरान बदरीनाथ धाम को 12 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था. सेना के बैंड की धुन और भगवान बदरी विशाल के जयकारों से धाम गूंज उठा. इसके साथ ही भगवान बदरी विशाल की स्वयंभू मूर्ति, भगवान उद्धव और कुबेर जी मूर्ति अपने शीतकालीन प्रवास स्थल की ओर रवाना हो गई है.
बताते चले कि 21 नवंबर से बद्रीनाथ धाम में पांच पूजाएं शुरू हो गई थीं। जिसके तहत गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट बंद किए गए और उसके बाद वेद ऋचाओं का वाचन भी शीतकाल के लिए बंद किया गया।
सोमवार को माता लक्ष्मी के मंदिर में विशेष पूजा की गई। मंदिर के रावल ने माता लक्ष्मी के मंदिर में जाकर उन्हें बद्रीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया। धाम के कपाट खुलने के बाद माता लक्ष्मी, मंदिर के परिक्रमा स्थल में बने मंदिर में विराजमान रहती हैं।
विदित हो कि इससे पहले केदारनाथ धाम, यमुनोत्री और मां गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। शीतकाल में बाबा केदारनाथ की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, गंगोत्री स्थित मां गंगा की पूजा मुखबा और यमुनोत्री स्थित मां यमुना की पूजा खरसाली में होगी।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 6 माह चलती है, लेकिन मॉनसून सीजन के दौरान श्रद्धालुओं की आवाजाही कम हो जाती है। चारधाम की यात्रा को 12 महीने सुचारू रखने और लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेश सरकार ने शीतकालीन यात्रा भी शुरू कर दी है। जिसके तहत शीतकालीन प्रवास स्थलों पर बाबा केदार, मां यमुना मां गंगा और भूबैकुंठ बद्रीविशाल के दर्शन किए जाएंगे।
विगत वर्ष भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शीतकालीन प्रवासी स्थलों पर पहुंचकर पूजा अर्चना की। 2024-25 में शीतकालीन यात्रा के दौरान 77,093 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। 4 महीने की यात्रा में ही गढ़वाल मंडल विकास निगम की 12.82 करोड़ की आय हुई।

