संभल 11 अक्टूबर। रायसत्ती थाना क्षेत्र के मोहल्ला हातिम सराय में जिन 80 मकानों तालाब की जमीन पर बने होने की बात कहकर अवैध घोषित किया गया है, उसमें प्रशासनिक कार्रवाई में चूक होने का दावा किया गया है। सरायतरीन निवासी पूर्वी वार्ष्णेय ने दावा किया है कि जिस जमीन पर मकान बने हैं वह उनकी आठ बीघा पुश्तैनी जमीन थी।
उनकी दादी हातिम सराय निवासी राम सुनीति देवी ने लोगों को बेची थी। आरोप है कि प्रशासन ने तहसील के रिकॉर्ड चेक नहीं किए और कार्रवाई शुरू कर दी। जबकि यह जमीन निजी है इसका भी आदेश राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। हालांकि प्रशासन की लाल निशान वाली कार्रवाई के बाद लोगों में चिंता है।
तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने कहा था कि सरकारी आठ बीघा तालाब को पाटकर अवैध तरीके से 80 मकानों का निर्माण किया गया है। इसके लिए नोटिस जारी कर अवैध निर्माण हटाने के लिए 15 दिन का समय भी दिया था। इसी क्रम में बुधवार को 40 मकानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए लाल निशान लगा दिए गए।
जिन लोगों के मकानों पर लाल निशान लगाए गए वह चिंतित हैं। इसी कार्रवाई के दौरान पूर्वी वार्ष्णेय का दावा सामने आया है। पूर्वी वार्ष्णेय ने बताया कि उनकी दादी के नाम 12 बीघा जमीन थी। जो 2009 के बाद लोगों को बेची गई थी। वर्षों तक इस जमीन में खेती होती रही और कुछ हिस्से को लोगों ने मिट्टी की खोदाई से तालाबनुमा बना दिया था।
जब जमीन बेची गई तो वह तालाब भी पाट दिया गया लेकिन निजी संपत्ति में ही तालाब था। प्रशासन ने जो कार्रवाई की है उसके रिकॉर्ड को चेक नहींकिया गया। तहसील में इस जमीन का पूरा रिकॉर्ड दर्ज है। जिन लोगों के मकान हैं उन्होंने बैनामा कराया है।
मकान बचाने के लिए कई परिवार गए हाईकोर्ट
प्रशासन की टीम द्वारा लाल निशान लगाने की कार्रवाई की गई तो लोगों की चिंता बढ़ गई। कई परिवार हाईकोर्ट चले गए हैं। याचिका दायर कर दी गई है। बताया गया है कि सोमवार तो सुनवाई की जा सकती है। हाईकोर्ट में बैनामे की कॉपी लेकर यह परिवार पहुंचे हैं। मकान स्वामियों का कहना है कि जो कागज हैं उनको यहां कोई देखने को तैयार नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। वहीं से अब मकान बचाने की आस बची है।
लाल निशान से पहले जांच पड़ताल क्यों नहीं की
हातिम सराय के 80 मकानों में रह रहे लोगों का सवाल है कि सोमवार को नोटिस जारी किया था कि अपना पक्ष रखें और दो दिन बाद लाल निशान लगाने की कार्रवाई को शुरू कर दी गई। प्रशासन ने जांच पड़ताल नहीं की और जो टीम मौके पर आई उन्होंने बैनामे के दस्तावेज तक नहीं देखे। इब्राहिम ने बताया कि उन्होंने पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर 10 साल पहले मकान बनाया है। प्रशासन की टीम ने लाल निशान लगा दिया। जबकि हमने तो जमीन खरीदी है। कब्जा करते तो बैनामा कहां से हो जाता। इसी तरह अन्य लोग भी सवाल उठा रहे हैं।
2009 में एडीएम कोर्ट का हुआ था आदेश, राम सुनीति देवी की है निजी संपत्ति
हातिम सराय में स्थित इस जमीन का गाटा संख्या 84, 85व और 86 अंकित है। इस जमीन को लेकर एडीएम हरज्ञान सिंह पुंडीर की कोर्ट ने 14 सितंबर 2009 को राम सुनीति देवी की निजी संपत्ति होने का हवाला देते हुए पीपी एक्ट के तहत जारी किए गए 35 नोटिस वापस करने का आदेश किया था।
आदेश में उल्लेख है कि जिला शासकीय अधिवक्ता मुरादाबाद की विधिक राय में स्पष्ट कहा है कि उक्त मिल्कियत सरकार अथवा पालिका अथवा स्थानीय निकाय अथवा मतरूक अंकित नहीं है। राम सुनीति देवी के नाम अंकित है। निजी संपत्ति पर पीपी एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
संभल डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया का कहना है कि निजी जमीन होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत की जाएगी। समस्या का समाधान किया जाएगा। किसी के खिलाफ भी गलत कार्रवाई नहीं होगी।