काठमांडू, 13 सितंबर। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 73 वर्षीय कार्की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी। इसके साथ ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के चलते मंगलवार को केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
संसदीय चुनाव कराने की घोषणा
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन में सुशीला कार्की को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद नव-नियुक्त प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को राष्ट्रपति पौडेल ने भंग कर दिया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि नए संसदीय चुनाव 21 मार्च 2026 को कराए जाएंगे।
सुशीला कार्की ने शपथ लेते हुए कहा, मैं देश और जनता के नाम पर प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने की शपथ लेती हूं। राष्ट्रपति पौडेल ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, हम आपकी और देश की सफलता की कामना करते हैं। इस मौके पर उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी मौजूद थे।
सुशीला कार्की का नाम राष्ट्रपति, सेना प्रमुख और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जेन-जी समूह के प्रतिनिधियों के बीच हुई सहमति के बाद तय हुआ। इसके लिए राष्ट्रपति ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, कानूनी विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी से भी परामर्श किया। सूत्रों के अनुसार, कार्की छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी।
जेन-जी के प्रस्तावित नाम पर मुहर
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की अगुवाई कर रहे जेन-जी समूह ने ही सुशीला कार्की का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था। जेन-जी नेताओं ने ऑनलाइन मतदान के जरिए उनका नाम आगे बढ़ाया, जिसे सभी ने स्वीकार किया।
सोमवार को नेपाल में भड़की थी हिंसा
सोमवार को भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ भड़के युवा आंदोलन के बाद नेपाल हिंसा की चपेट में आ गया था। प्रदर्शनकारियों ने संसद में जमकर हंगामा किया। उनकी कई शहरों में पुलिस से झड़प भी हुई। हालात बिगड़ने पर सेना ने कमान संभाल ली और देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया।
कौन हैं सुशीला कार्की
नेपाल की पहली और अब तक की इकलौती महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। सुशीला कार्की का जन्म 1952, विराटनगर, नेपाल में हुआ। सुशीला कार्की ने 1975 में बीएचयू से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री ली। विराटनगर से स्नातक की पढ़ाई के बाद कार्की बीएचयू आई थीं। 1979 में वकालत शुरू की, 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं, 2009 में उच्चतम न्यायालय में तदर्थ न्यायाधीश और 18 नवंबर 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनीं।
उनका विवाह नेपाली कांग्रेस के पूर्व नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुआ है। उनकी छवि भ्रष्टाचार के विरुद्ध निष्पक्ष न्यायधीश की रही है।