लखनऊ, 18 दिसंबर। यूपी के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रयागराज का अध्यक्ष बनाया गया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इनकी नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया गया है। प्रो. कीर्ति पांडेय ने 22 सितंबर को पद से इस्तीफा दे दिया था और इसे सरकार ने 26 सितंबर को स्वीकार कर लिया था। करीब ढाई महीने से नए अध्यक्ष की तैनाती का इंतजार किया जा रहा था जो बुधवार को पूरा हो गया।
नया अध्यक्ष मिलने के बाद अब बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के शिक्षकों की भर्ती के लिए बनाए गए इस आयोग में अब भर्तियां तेजी से शुरू हो सकेंगी। डीजीपी रह चुके प्रशांत कुमार के प्रशासनिक अनुभव का लाभ आयोग को मिलेगा। भर्ती परीक्षा फूलप्रूफ ढंग से आयोजित कर समय पर उसे पूरा करने की चुनौती भी नए अध्यक्ष के सामने है। एक सितंबर 2024 को दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर की प्रोफेसर कीर्ति पांडेय को इसका अध्यक्ष बनाया गया था। मगर तीन वर्ष के अपने कार्यकाल में वह एक वर्ष ही इस पद पर रह सकीं। व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया था।
बताते चले कि मेरठ में एडीजी और प्रदेश के डीजीपी रहने के दौरान उनकी उपलब्धियों को इस नियुक्ति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से हैं एमएससी
प्रदेश में 31 जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक डीजीपी रहे डॉ. प्रशांत कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी से (अप्लाइड जियोलॉजी) एमएससी की डिग्री हासिल करने वाले प्रशांत कुमार ने गोल्ड मेडल भी हासिल किया था। उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए और नेशनल डिफेंस कॉलेज से डिफेंस और स्ट्रेटेजिक स्टडीज में एमफिल की शिक्षा भी ग्रहण की है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार का चयन वर्ष 1990 में भारतीय पुलिस सेवा में हुआ था। उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआईएसएफ और आईटीबीपी में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
प्रदेश में वर्ष 2017 से लेकर 2020 के बीच मेरठ जोन में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए और 65 अपराधियों को ढेर किया गया। इतना ही नहीं, लूट और डकैती की घटनाओं में करीब 85 प्रतिशत माल की रिकवरी कराई गई थी। दिल्ली से अगवा किए गए मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर श्रीकांत को मेरठ में रखकर पांच करोड़ की फिरौती मांगी गई थी, जिन्हें दिल्ली पुलिस, एसटीएफ और मेरठ पुलिस की टीम ने बंधनमुक्त कराते हुए सकुशल बरामद कराया था।
पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार ने 15 जुलाई 2017 को मेरठ एडीजी का पद संभाला था और 26 मई 2020 को उन्हें एडीजी कानून व्यवस्था बनाकर लखनऊ भेजा गया था। करीब तीन साल तक प्रशांत कुमार मेरठ के एडीजी रहे थे। वेस्ट यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर और बागपत में अपराधियों के खिलाफ खासतौर पर एसओजी टीम और एसटीएफ को कार्रवाई के लिए लगाया था। बड़े गैंग चलाने वाले कुख्यात अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन हुआ। इस दौरान मेरठ जोन में 2273 मुठभेड़ हुई, जिसमें 65 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया।
साथ ही 1332 अपराधियों को पैर में गोली लगी थी। इस दौरान 100 से ज्यादा गैंग को पूरी तरह से खत्म किया गया और करीब 150 करोड़ से ज्यादा की अपराधियों की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट में जब्त किया गया।
तीन कांवड़ यात्राओं को सकुशल संपन्न कराया
प्रशांत कुमार ने मेरठ जोन में रहते हुए वर्ष 2017, 2018 एवं 2019 की कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराया था। अयोध्या प्रकरण, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने एवं सीएए के विरोध में हुए बवाल के समय भी व्यवस्था बनाए रखी। इसके अलावा इन्होंने ही मेरठ के अपराध माफिया उधम सिंह और योगेश भदौड़ा के गांवों में वर्दी को लेकर युवाओं को प्रेरित किया था। इसी अभियान के चलते इन गांवों में तीन साल में काफी युवाओं ने सेना, पुलिस में नौकरी हासिल की।
दिल्ली के डॉक्टर को सकुशल कराया बरामद
दिल्ली के मेट्रो हॉस्पिटल के डॉक्टर श्रीकांत को 6 जुलाई 2017 को दिल्ली से कुछ बदमाशों ने अगवा किया और मेरठ में बंधक बनाकर रखा। 19 जुलाई को बदमाशों को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, एसटीएफ और मेरठ पुलिस ने मुठभेड़ के बाद सकुशल बरामद किया था। दरोगा की हत्या कर फरार होने वाले रोहित सांडू केस में प्रशांत कुमार और उनकी टीम ने सांडू समेत 4 को ढेर किया था। दिल्ली के शक्ति नायडू को भी प्रशांत कुमार और उनकी टीम ने ढेर किया था।

