प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गोवा में INS विक्रांत पर नौसैनिकों के बीच दिवाली मनाई। यहां उन्होंने करीब 40 मिनट की स्पीच दी। कहा, “हमारा विक्रांत आज आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया का बहुत बड़ा प्रतीक है। INS विक्रांत ने अभी पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी थी। जिसका नाम ही दुश्मन का चैन छीन ले, वो INS विक्रांत है।’
वे रविवार को ही यहां पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने नौसैनिकों से बातचीत की। उनके साथ गाना गाया, मिठाई खिलाई और डिनर किया। यह 12वीं बार है कि पीएम दिवाली पर जवानों के बीच पहुंचे और दीवाली मनाई।
पिछले साल पीएम गुजरात के कच्छ पहुंचे थे। यहां उन्होंने BSF, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवानों को मिठाई खिलाई थी। बीते 11 सालों में दिवाली के मौके पर पीएम सबसे ज्यादा 4 बार जम्मू-कश्मीर गए थे।
आईएनएस विक्रांत के बारे में कुछ खास बातें
भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट आईएनएस विक्रांत (IAC-1) पूरी तरह से भारत में डिजाइन और बनाया किया गया है. यह आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण है.
इसकी लंबाई 262 मीटर है और इसका फुल डिस्प्लेसमेंट (Full Displacement) लगभग 45,000 टन है, जो इसे पिछले युद्धपोत से कहीं अधिक बड़ा और तेज बनाता है.
ताकत और स्पीड: INS विक्रांत चार गैस टर्बाइनों से चलने वाला एक युद्धपोत है. इनकी कुल शक्ति 88 मेगावाट है और यह अधिकतम 28 समुद्री मील (Knots) की गति से चल सकता है.
कितने में तैयार हुआ युद्धपोत: इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगभग 20,000 करोड़ रुपये की कुल लागत आई है. इसके अलावा इसमें 76% स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया गया है.
भारत की नई पहचान: आईएनएस विक्रांत को अपने ही देश में बनाकर तैयार करने और इसकी घातक मारक क्षमता ने भारत को एक अलग पहचान दी है. इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर पोत को स्वदेशी रूप से डिजाइन और बनाने की क्षमता है.
क्या है ताकत: आईएनएस विक्रांत पर 30 विमानों के एक एयर विंग का संचालन किया जा सकता है. इसमें MiG-29K लड़ाकू विमान, कामोव-31, MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर, और स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) और हल्का लड़ाकू विमान (LCA) (नौसेना) शामिल हैं.
PM मोदी ने गोवा में कहा- देशवासी आप जहां भी सुन रहे हैं, ये आंकड़ा याद रखिएगा- आज हमारी क्षमता क्या है, अब औसतन हर 40 दिन स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी नेवी में शामिल की जा रही है। हमारी स्वदेशी ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों ने क्षमता साबित की है।
आगे कहा कि ब्रह्मोस को नाम सुनते ही कई लोगों को चिंता हो जाती है। कई देश इन मिसाइलों को खरीदना चाहते हैं। भारत तीनों के सेनाओं के हथियार-उपकरण एक्सपोर्ट करने की क्षमता बिल्ट कर रहा है। हमारी कोशिश है कि भारत टॉप एक्सपोर्टर देशों में शामिल हो। हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना तक बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शक्ति और सामर्थ्य को लेकर हमारी परंपरा रही है- हमारा विज्ञान, हमारी समृद्धि और हमारी मानवता की सेवा और सुरक्षा के लिए होती है। आज इंटरकनेक्टिंग वर्ल्ड में दुनिया समुद्री रास्तों पर निर्भर है। आज हिंद महासागर में दुनिया बड़ा आवागमन (शिपमेंट और ऑयल ट्रांसपोर्टेशन) हो रहा है, भारतीय नेवी इसकी चाकचौबंद सुरक्षा कर रही है।
मोदी ने आगे कहा कि आज भारत के हर द्वीप पर नौसेना तिरंगा फहरा रही है। आज भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमारी कोशिश है कि ग्लोबल साउथ के देश भी तेजी से आगे बढ़ें। इस पर हम तेज गति से काम कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ती है तो धरती के किसी भी कोने में मौजूद रहते हैं। आपदा के समय दुनिया भारत को विश्वबंधु के रूप में देखती है। मालदीव में पानी का संकट आया तो ऑपरेशन नीर चलाया। 2018 में इंडोनेशिया में सुनामी आई, हम इंडोनेशिया के कंधे से कंधा मिलाकर ख़ड़े हो गए। दुनिया में कहीं भी संकट हो, भारत सेवा की भावना से पहुंचा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- हमारी नौसेना ने विदेश में फंसे लोगों को लाने के लिए अभियान चलाए। आपके शौर्य और साहस ने दुनिया में रह रहे भारतीयों के विश्वास को मजबूत किया है। हमारे सैन्य बलों ने जल, थल, नभ में हर परिस्थिति में पूरी संवेदनशीलता के साथ सेवा की है।
मोदी ने आगे कहा कि मैं आज भारतीय तटरक्षक की भी सराहना करता हूं। वे नेवी के साथ समन्वय बनाकर दिनरात तैनात रहते हैं। हमारे सैन्यबलों के साहस के कारण ने देश ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।आज देश नक्सली आतंक से मुक्ति की कगार की पर है। 2014 से पहले देश के 125 जिले माओवादी हिंसा की चपेट में थे। दस साल की मेहनत की बाद ये संख्या घटती गई। अब सिर्फ 11 जिले माओवाद बाकी रह गया है। 100 से ज्यादा माओवाद से मुक्त होकर दिवाली मना रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जिन इलाकों में माओवादी नक्सली सड़कें नहीं बनने देते थे, स्कूल नहीं बनने देते थे, स्कूलों के बम से उड़ा देते थे, डॉक्टरों के गोलियों से भून देते थे। अब वहां नए उद्योग लग रहे हैं। हाईवे-स्कूल बन रहे हैं। ये सब सुरक्षाबलों के त्याग, तप से संभव हुआ है। अनेक जिलों में आज लोग आन-बान-शान के साथ दिवाली मनाने जा रहे हैं।