प्रयागराज, 05 नवंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि शादी के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाना दुष्कर्म का अपराध है। यह की आईपीसी की धारा 376 के तहत आता है। कोर्ट ने कहा कि अगर शादी का वादा शुरू से ही झूठा था और उसका एकमात्र उद्देश्य पीड़िता की सहमति हासिल करना था तो ऐसा यौन संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। यह आदेश न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना ने रवि पाल व अन्य की याचिका पर दिया है। साथ ही उनके विरुद्ध चार्जशीट को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी।
मामला गोरखपुर के सहजनवां थाने का है। पीड़िता ने 17 जनवरी 2024 को रवि पाल, उसके भाई अंकित पाल, पिता महेंद्र पाल और मां मुन्नी देवी के खिलाफ रेप और साजिश की प्राथमिकी दर्ज करा आरोप लगाया कि याची ने उससे शादी का झूठा वादा करके 21 नवंबर 2023 को अपने घर पर, 23 नवंबर को एक होटल में और फिर दिसंबर में दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म किया। उसके बाद तीन जनवरी 2024 को उसे दिल्ली में अकेला छोड़ दिया। आरोपी रवि पाल ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका दाखिल कर चार्जशीट और मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की। उनके वकील ने दलील दी कि संबंध सहमति से थे, कोई चिकित्सकीय पुष्टि नहीं है, एफआईआर में देरी हुई है और पीड़िता ने आरोपी को फंसाने के लिए झूठा मामला रचा है.
वहीं पीड़िता के वकील प्रिंस कुमार श्रीवास्तव ने दलील दी कि आरोपी ने शादी का झूठा वादा कर संबंध बनाया था. झूठे वादे पर मिली सहमति को वैध सहमति नहीं कहा जा सकता है. आरोपी पर दुष्कर्म का मुकदमा चलना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर और पीड़िता के बयानों से साफ जाहिर है कि आरोपी ने शादी का झूठा वादा करके ही उसकी सहमति हासिल की थी. यह मामला सहमति से बने यौन संबंधों वाला नहीं है, बल्कि झूठे वादे के आधार पर सहमति ली गई थी, जो प्रथम दृष्टया बलात्कार की श्रेणी में आता है.

