हापुड़ रोड स्थित अब्दुल्ला रेजीडेंसी को लेकर ऊर्जा राज्यमंत्री डा0 सामेन्द्र तोमर द्वारा की गई शिकायत कि इसमें हिन्दुओं के नोएंट्री मामले को संज्ञान में आते ही जिलाधिकारी डा0 वीके सिंह जी द्वारा प्राथमिकता से एसडीएम सदर डा0 दीक्षा जोशी की अध्यक्षता में आवास विकास के अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार और सीओ सिविल लाईन अभिषेक तिवारी की तीन सदस्य समिति गठित कर सात दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे। गंभीर आरोप और शुरूआती जांच में प्राप्त हो रहे तथ्यों के चलते एक सप्ताह की बजाए एक माह में जिलाधिकारी को रिपोर्ट मिली। जिसमें टीम ने सात से आठ बिन्दुओं पर प्रमुखता से जांच की। बताते है कि निर्माण मानकों स्वीकृति प्रक्रिया निवासियों की शिकायत धार्मिक भेदभाव आदि को प्रमुखता से रखा और परखा गया। खबरों से पता चलता है कि रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमिताओं और नियमों के उल्लंघन का भी आभास हुआ है। जिलाधिकारी डा0 वीके सिंह रिपोर्ट पर शासन और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप सख्त और सुनिश्चित कार्रवाई करने तथा पक्षपात को बर्दाश्त न करने पर सक्रिय हो गया है।
ईमानदार और कर्त्तव्यनिष्ठ अफसर की छवि वाले डीएम डा0 वीके सिंह के संज्ञान में आ गया है तो कार्रवाई होना तो अनिवार्य हैं। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि अब्दुल्ला रेजीडेंस के निर्माणकर्ताओं में शुमार महेन्द्र गुप्ता जिन्हें लेकर किसानों की जमीन और तालाब की भूमि घेरने से संबंध विवादों को लेकर चर्चाएं होती रहती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए डीएम साहब शासन की जमीन और तालाबों को बचाने की सरकार की योजना के तहत थाना मेडिकल के अपोजिट साईड में नागरिकों के अनुसार महेन्द्र गुप्ता द्वारा बनाये गये वेंकटेश्वर हाईट या फ्लैट अथवा रेजीडेंसी कालोनी के निर्माण और जमीन की भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि जानकारों का मौखिक कहना है कि इसमें कुछ सरकारी और तालाब की जमीन घेरी हो सकती है। तथा निर्माण से संबंध सरकार की नीति और मानचित्र के नियम व धाराओं व निर्देशों का भी उल्लंघन हुआ बताते है। अब्दुल्ला रेजीडंेसी की शुरूआती जांच के दौर में यहां भले ही सरकारी भूमि गजों में घेरे जाने का मामला आया हो लेकिन यह तो पक्का है कि आवास विकास की भूमि घेरी गई थी इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए चर्चाएं सही लगती है कि वेंक्टेश्वर कालोनी में भी तालाब और सरकार की जमीन घेरी हो सकती है। और वर्तमान में ऐसे मामलों में न्यायालय व सरकार दोनों ही कार्रवाई सुनिश्चित करा रही है तो नागरिकों का मानना है कि डीएम साहब इसके लिए भी एक तकनीकि जानकारोें की कमेटी किसी प्रशासनिक अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कर सरकार व जनहित में जांच जरूर कराये। क्योंकि महेन्द्र गुप्ता जी हमेशा ही जमीनों आदि के प्रकरण में चर्चाओं में रहते नजर आते बताये जाते है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

