नई दिल्ली 27 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस दलील को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि देश में पहले कभी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) नहीं हुआ है, इसलिए निर्वाचन आयोग का फैसला अवैध है।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु द्वारा भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जा रहे एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि देश में पहले, एसआईआर नहीं किया गया, इस दलील को निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यों में कराई जा रही इस प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग के पास फॉर्म-6 में एंट्री की सच्चाई तय करने का अंदरूनी अधिकार है। फॉर्म-6 किसी व्यक्ति को खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने के लिए भरना होता है। पीठ ने यह भी दोहराया कि आधार कार्ड नागरिकता का पक्का सबूत नहीं है और इसीलिए हमने कहा कि यह दस्तावेजों की सूची में से एक होगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आधार सरकारी योजना का लाभ पाने के लिए बनाया गया कानून है। मान लीजिए कोई पड़ोसी देश का है और मजदूर के तौर पर काम करता है।
क्या बोले सीजेआई सूर्यकांत?
इस पर सीजेआई सूर्याकांत ने सिब्बल से कहा कि सिब्बल साहब, आपने दिल्ली में चुनाव लड़ा है, वहां बहुत लोग वोट डालने नहीं आते. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव त्योहार की तरह मनाया जाता है. वहां हर व्यक्ति को पता होता है कि गांव का निवासी कौन है और कौन नहीं. वहां अधिकतम मतदान होता है और लोग अपने वोट को लेकर बहुत सजग रहते हैं. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मतदाता सूची को शुद्ध और अपडेट रखना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और इसके लिए वह जरूरी कदम उठा सकता है.
बेंच ने स्पष्ट किया कि एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर कोई ठोस शिकायत अभी तक सामने नहीं आई है, इसलिए इसे रोकने का कोई आधार नहीं बनता. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि अगर कोई वास्तविक शिकायत या अनियमितता सामने आती है तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा और सुधार के आदेश देगा. कोर्ट ने यह भी भरोसा दिलाया कि कोई भी पात्र मतदाता इस प्रक्रिया की वजह से अपने अधिकार से वंचित न हो, इसके लिए वह चौकस रहेगा.
राजद सांसद मनोज झा ने अपनी याचिका में एसआईआर को लोगों को मताधिकार से वंचित करने की सुनियोजित कोशिश बताया था. कोर्ट ने हालांकि प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तक कोई ऐसा सबूत नहीं दिया गया है जिससे यह लगे कि यह प्रक्रिया व्यापक स्तर पर लोगों को नुकसान पहुंचा रही है. यह मामला अब आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध रहेगा, लेकिन फिलहाल एसआईआर का काम पूरे देश में निर्बाध रूप से जारी रहेगा.

