सही व्यक्ति को वोट का अधिकार दिलाने और फर्जी मत कटवाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में चल रहे एसआईआर अभियान की तारीख फिर बढ़ाई गई है। खबरों से पता चलता है कि कहीं कहीं तो एक एक जिले में भारी फर्जी वोट कटेंगे। भाजपा और उसके सहयोगी इस अभियान की सफलता के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं तो विपक्षी दल जबरन वोट काटने के आरोप लगा रहे हैं। कितने वोट कटेंगे कितने नहीं यह तो अभियान की सफलता के बाद पता चलेगा लेकिन जहां यह अभियान चल रहा है वहां के जिला निर्वाचन व सहयोगी अधिकारी रात दिन सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। इस क्रम में ज्यादातर विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मतदाता सूचियों और घर घर जाकर समीक्षा कर रहे हैं। इसे पूरा कराने वालों पर कितना दबाव होगा इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अभी काफी बीएलओ जान से हाथ धो बैठे कारण कुछ भी रहा हो। एक दृष्टि से देखे तो सही व्यक्ति को मताधिकार मिले यह सही है क्योंकि फर्जी मतदान से यह पता नहीं चलता कि कौन जीत पाएगा। इस अभियान को लेकर मेरा मत है कि ऐसे कार्य किसी ना किसी नाम से ज्यादातर होते रहते हैं जिनमें शिक्षकों व सरकारी कर्मचारियों की डयूटी लगाई जाती है इससे उनके विभाग के कार्य प्रभावित होते हैँ इसलिए ऐसे कार्य को संपन्न कराने के लिए एक अलग विभाग बनाया जाए और उसमें संविदा के आधार पर योजना पूरी कराई जा सकती है। ऐसे में जो कर्मचारी रखे जाएंगे वो भी पूरी मेहनत से काम करेंगे क्योंकि जो रोजगार मिलेगा वो हाथ से निकलने का डर बना रहता है।
अभी तक जितना पढ़ने को मिला उससे फर्जी वोट काटने की बात सामने आ रही है लेकिन कई मामलों में सुना गया है कि वो कई दशक से वोट देते चले आ रहे हैं लेकिन २००० के बाद मतदाता सूची में उनके नाम ही नहीं है। जबकि उनके वोट सामने हैं। उप्र के निर्वाचन आयुक्त नवदीप रिणवा से आग्रह है कि वो पूरे प्रदेश में इस बारे में स्थिति स्पष्ट करें कि जो सही वोट हैं और उनके नाम मतदाता सूची में नहीं है उनके वोट कैसे बनेंगे क्येांकि देश में आम आदमी की सरकार के लिए सही व्यक्तियों को वोट देने का अधिकार जरूरी है। हमारे नेता भी यह दोहरा रहे हैं कि सही वोट ना कटे और फर्जी वोट ना रहे। इस बारे में भारत निर्वाचन आयोग को लोकतंत्र के लिए यह कार्य पारदर्शी चले और सही लोगों की वोट ना कटे और नहीं है तो बनवाई जाए और नागरिकों को उससे अवगत कराया जाए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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