asd मोदी-योगी ईमानदार, उनके मंत्री भ्रष्टः निश्चलानंद

मोदी-योगी ईमानदार, उनके मंत्री भ्रष्टः निश्चलानंद

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प्रयागराज 31 मई। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि केंद्र में सरकार चाहे जिसकी बने लेकिन साधु-संतों का सम्मान जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। पीएम मोदी और सीएम योगी तो ईमानदार हैं, लेकिन इनके नाम पर भाजपा के कई राजनेता और मंत्री भ्रष्टाचार कर रहे हैं। गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती अपने तीन दिवसीय प्रवास पर बृहस्पतिवार को बागेश्वरधाम से झूंसी स्थित शिवगंगा आश्रम पहुंचे। वह पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे।

शंकराचार्य ने कहा कि केंद्र में सरकार किसी भी गठबंधन या पार्टी की बने, लेकिन व्यास पीठ का सम्मान होना जरूरी है। कहा कि उनका किसी भी पार्टी के साथ कोई सरोकार नहीं है। चुनावी बेला में किसी भी पार्टी या फिर गठबंधन के पक्ष व विपक्ष में बोलना अनुचित है। सनातन धर्म और व्यास पीठ का सम्मान सुरक्षित रहे, यही उनकी कामना और इच्छा है। देश की सीमा की सुरक्षा का ध्यान तो शासनतंत्र को है लेकिन व्यास पीठ पर प्रतिष्ठित और प्रामाणिक धर्माचार्य हैं, उनको अनुगामी बनाकर रखने का कर्तव्य भी केंद्रीय शासन तंत्र को ही निभाना होगा।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों और मुगलकाल के शासन में भी कोई अराजक धर्माचार्य या फिर शंकराचार्य बनकर नहीं घूमता दिखाई दिया था। अंग्रेज हिंदुओं के हिमायती या पक्षधर नहीं थे। उन्हें पता था कि हिंदुओं के यहां अगर विसंगति उत्पन्न हुई तो दूसरे आतंक फैलाने वाले होंगे। पुरी शंकराचार्य ने आगे कहा कि लोग अपने विवेक का परिचय देकर मतदाता अपने मत का उपयोग करें। कहा कि देश और प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तो ईमानदार हैं, लेकिन उनके नाम पर अन्य राजनेता व मंत्री भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विकास के नाम पर अगर विनाश होगा तो गंगा प्रदूषित होंगी। गंगा तो अपने उद्गम स्थल उत्तराखंड पर ही मैली हो गईं हैं। गंगा वहीं पर विलुप्त हो गई हैं। कहा कि महायंत्रों के ज्यादा प्रयोग होने से ही प्रदूषण और तपिश बढ़ रही है। विकास का मापदंड ही गलत है। पेड़-पौधों और जंगल के कटने से हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं।

महानगर को इस वक्त विकास का मानक बना दिया गया है। महानगर में शुद्ध पानी, मिट्टी,मनोभाव और संयुक्त परिवार की पहुंच नहीं है। इसी कारण से विकास के नाम पर विनाश हो रहा है।

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