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    Home»देश»बढ़ते जा रहे है उपभोक्ता से धोखाधड़ी के मामलों को रोकने समय से न्याय दिलाने हेतु तैनात किए जाए फोरम में नये अध्यक्ष व सदस्य
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    बढ़ते जा रहे है उपभोक्ता से धोखाधड़ी के मामलों को रोकने समय से न्याय दिलाने हेतु तैनात किए जाए फोरम में नये अध्यक्ष व सदस्य

    adminBy adminDecember 24, 2025No Comments5 Views
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    आज देश में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया गया और ऐसा हमेशा ही हर वर्ष 24 दिसंबर को होता है। सरकारें और जनप्रतिनिधि उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित करने और उन्हें सम्मान दिलाने के हर संभव प्रयास कर रहे है। लेकिन ग्रामीण कहावत ज्यो ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान उपभोक्ता के हित को बढ़ावा देने की बजाए अहित ज्यादा हो रहा है। और ऐसा करने वालों में कोई एक वर्ग जाति और लोग शामिल नहीं है। बाजार में ठेली रेडी वाले बाट माप विभाग की लापरवाही के चलते प्रतिदिन रोटी रोजी कमाने के लिए घर से निकलने वाले गरीब मजदूरों व बेसहारा लोगों को कम तोलकर और मंहगा सामान बेच उनकी मेहनत की कमाई एक दूसरे के सक्षम व्यक्ति ही ढकारने में लगे है। बताते है कि एक बार किसी चीज के दाम चाहे वो पेट्रोल डीजल व सब्जी फल या खाद्यय सामग्री के बढ़ जाए तो छोटे दुकानदार कीमतें बढ़ा तो तुरंत देते है मगर सस्ता होने पर उस प्रकार घटाते नहीं। जानकारों के कहने अनुसार खाद्य सुरक्षा विभाग के अफसरों की निष्क्रियता के चलते मिलावटी सामान खाने और खरीदने को मजबूर है उपभोक्ता। नकली दवाईयों की बिक्री होने की खबरें जाने अनजाने पढ़ने को मिलती ही रहती हैं कई डाक्टर और अस्पताल सीमा से आगे बढ़कर गरीबों से इलाज की रकम वसूल रहे है। इतना ही नहीं कई ऑन लाईन चैनल एप लाभ के सब्जबाग दिखाकर जुआ और सट्टा खेलने के लिए मजबूर करते है। बिल्डर बिना केस नियम विरूद्ध खूब उत्पीड़न करने में कसर नहीं छोड़ते। कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि हर तरीके से सरकार के उपभोक्ताओं को सरंक्षरण देने और उसे ठगे जाने से बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद ग्रामीण कहावत ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान जितना पढ़ने सुनने और देखने को मिलता है इससे नागरिकों की यह बात सही लगती है कि उपभोक्ता उत्पीड़न वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है।
    वैसे तो उसको न्याय कम मामलों में भुगत भोगियों को ही मिलता है लेकिन कुछ बहुत ही संर्घषशील होते है वो उपभोक्ता फोरम का द्वार खटखटाने और निरंतर न्याय पाने के लिए प्रयास करते है। मगर कई जिलों में उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष नहीं है तो कई में सदस्यों का आभाव है। बताते है कि आयोग में मामलों की सुनवाई के लिए केवल एक ही पीठ गठित है। 14800 मामलों को निस्तारित करने के लिए सिर्फ एक पीठ का होना सवालों के घेरे में हो सकता है। बताते है कि प्रदेश के 79 उपभोक्ता फोरमों में 22 में अध्यक्ष और इसके सदस्यों के पद खाली है। जो इस बात का प्रतीक कहे जा सकते है कि यहां भी आसानी से न्याय मिल पाना इन परिस्थितियों में उपभोक्ता को संभव नहीं है। बताते चले कि वाराणसी आजमगढ़ मिर्जापुर मंडल में 8426 मामले लंबित है। प्रयागराज प्रतापगढ़ और कौशांबी में 5 हजार से अधिक मामले पेडिंग है। मथुरा में एक और आगरा में दो सदस्यों के पद रिक्त है। गोरखपुर देवरिया सिद्धार्थ नगर में अध्यक्ष के पद रिक्त है। मेरठ और आसपास के जिलों में 7576 मामले सुनवाई के लिए प्रतिक्षा में है। अलीगढ़ मंडल के चारों जिलों में 2294 वाद सुनने के लिए लंबित है। इन पर तैनाती क्यों नहीं हो रही यह देखना तो जिम्मेदारों का काम है। मगर जिस प्रकार से उपभोक्ता का उत्पीड़न व धोखाधड़ी चाहे वो ऑन लाइन से संबंध हो या ऑफ लाईन कुल मिलाकर उपभोक्ता हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाने और उन्हें न्याय दिलाने की बड़ी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसलिए मेरा मानना है कि हर स्तर के उपभोक्ता फोरम और आयोग मे मानकों का पालन करते हुए कुछ साकारात्मक निर्णय लिये जाए। और अगर सक्षम सदस्यों की कमी है तो इस क्षेत्र से संबंध का भी नौजवानों को उनकी काबलियत के आधार पर तैनात कर हर तरह से उपभोक्ता संबंध वादों का निस्तारण समय से किया जाए। क्योंकि देर होने से आर्थिक उत्पीड़न और बढ़ जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं कर सकते। मंहगाई के युग में फोरम में आना जाना और अपनी बात रखना भी महंगा होता जा रहा है।
    (प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक पत्रकार)

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