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    Home»देश»बैंक में रूपये जमा कराते और निकालते समय नोटों की गिनती अवश्य करें, गडिडयों में कम रूपये निकलने के कई मुददे सामने आ चुके हैं
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    बैंक में रूपये जमा कराते और निकालते समय नोटों की गिनती अवश्य करें, गडिडयों में कम रूपये निकलने के कई मुददे सामने आ चुके हैं

    adminBy adminNovember 22, 2025No Comments7 Views
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    वर्तमान में बढ़ते व्यवसाय और अन्य सक्रिय गतिविधियों के कारण आपस में लेनदेन और उधार का प्रचलन पिछले काफी समय से तो था ही लेकिन अब ज्यादा बढ़ गया है। इस काम में विश्वसीनयता को महत्व दिया जाता है लेकिन आजकल यह सुनने को मिलता है कि फलां व्यक्ति ने रूपये उधार लिए थे अब दे नहीं रहा है। या बैंक से फ्रॉड हो गया मगर अब कुछ बैंककर्मियों द्वारा ही चरम पर फ्रॉड और ग्राहकों के खातों या बेनामी खातों से मिलीभगत कर पैसा निकाल लेने या अन्य प्रकार की धोखाधड़ी करने के समाचार खूब पढ़ने को मिलते हैं। ऐसे मामलों में सजा और बदनामी भी हो रही है लेकिन जिस प्रकार से सबकी सोच एक जैसी नहीं होती इसलिए आम आदमी हो या बैंक कर्मी सभी को तो संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता क्योंकि ऐसा होने लगा तो सारे काम तो बंद होंगे ही एक दूसरे से विश्वास ही उठ जाएगा। मगर अब जो नई समस्या सामने आ रही है वो विकट तो है ही एक दूसरे पर संदेह करने की कार्यप्रणली को भी बढ़ावा दे रही है। क्योंकि आए दिन सुनने को मिल रहा है कि फलां व्यक्ति रूपये उधार ले गया था वापस करने आया तो ऐसे ही रख लिए बाद में जब गिने गए तो गडडी में पांच हजार रूपये कम निकले। या दो हजार जनता में तो ऐेसे मामलों में ज्यादातर लेनदेन पूरा कर लिया जाता है यह सोचकर की गलती हो गई होगी। मगर सबसे बड़ी समस्या अब बैंकों से लेनदेन में आने लगी है। पिछले दिनों कुछ ऐसे मामले सामने आए कि बैंक से रूपये निकाले तो बैंक की गडडी में पांच सात हजार रूपये तक कम निकले। शिकायत की गई तो मैनेजर और कैशियर का जवाब कि सीलबंद गडडी दी थी कमकैसे निकल सकते हैं। ऐसे में या तो बैंक के खिलाफ शिकायत की जाए या मुकदमा दर्ज कराया जाए। दोनों में ही एक समस्या सामने आती है कि एक तो समय की बर्बादी दूसरे खाता बंद कराओ और दूसरे बैंक में खुलवाओं और इसकी भी कोई गारंटी नहीं है कि वहां घपला नहीं होगा।
    प्रिय पाठकों कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि मेहनत की कमाई में हम खर्च तो कितना ही कर लें कोई गम नहीं होता लेकिन पैसे खो जाएं या कोई कम दे और उसे माने भी नहीं तो जो दुख होता है वो असहनीय है और ऐसे में आप जो भी काम करते हैं उसका प्रभावित होना भी पक्का है। इसलिए मेरा मानना है कि चौकसी बरती जाए और जब भी रूपये लिए या दिए जाएं तो कोशिश हो कि वो गिनकर दें। मगर कभी कभी ऐसी परिस्थितियां होती हैं कि जल्दी से रकम गिनी नहीं जा सकती और मश्ीानें सबके यहां होती नहीं। ऐसे में किसी परिचित या दोस्त से लेनदेन किया जाए तो ऐसा होने पर यह सोचकर कि गलती हो गई होगी आपस में मामला तय कर लेते हैं लेकिन बैंककर्मी बिल्कुल भी इसे मानने को तैयार नहीं होते। इसे ध्यान रखते हुए बैंक से जब भी लेनदेन करे तो उसकी नोटों की गिनती वहां मौजूद मशीन से अनिवार्य रूप से कराएं। क्योंकि अगर कम निकले तो वापस मिलने वाले नहीं है।
    कुछ वर्ष पहले तक नोटों की गडिडयों में नकली नोट मिलने की शिकायतें मिलती थी जो अब कुछ कम है मगर यह जो गडडी में कम निकलने का मामला कम जगह से सुनने को मिल चुका है। इसलिए वक्त की आवश्यकता को देखते हुए पैसे गिनकर लें। एक बार को हाथ दस्ती में ध्यान कम दिया जाए मगर बैंक से लेनदेन में कोई कोताही ना करें चाहे मैनेजर हो या कैशियर। जब रूपये का मामला आता है तो सब हाथ खड़े कर देते हैं इसलिए बिना गिने लेनदेन ना किया जाए तो अच्छा है।
    (प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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