पटना 15 नवंबर। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में बगावत करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। बिहार भाजपा ने सबसे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरा से सांसद रहे राजकुमार सिंह उर्फ़ आर.के. सिंह पर कार्रवाई की है। इसके बाद कटिहार में विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल और मेयर उषा अग्रवाल पर भी कार्रवाई की गई है। पार्टी ने इन तीनों को 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।
बिहार भाजपा के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने तीनों के लिए अलग-अलग पत्र जारी किए। पत्र में लिखा गया है कि आपकी गतिविधियां पार्टी के विरोध में हैं, जो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती हैं। पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है, क्योंकि इससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है और कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित हुआ है। इसलिए वरीय पदाधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद आपको भाजपा से निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। भाजपा ने तीनों नेताओं को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है और पूछा है कि आपको पार्टी से क्यों न निष्कासित किया जाए, इसका स्पष्टीकरण अवश्य दें।
आर.के. सिंह ने केवल NDA पर ही नहीं, बल्कि कई बड़े नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जेडीयू के अनंत सिंह और आरजेडी के सूरजभान सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है चुल्लू भर पानी में डूब मर जाना.
उन्होंने आरजेडी के कई उम्मीदवारों को अपराध से जुड़ा बताते हुए लोगों से अपील की थी कि वे ऐसे प्रत्याशियों को वोट ना दें. इससे चुनावी माहौल को लेकर कई तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आईं. उनके इन बयानों से बीजेपी को यह डर था कि विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा न बना ले, इसलिए पार्टी ने तब कार्रवाई करने से खुद को रोके रखा.
हालांकि बीजेपी ने चुनाव के दौरान कोई कदम नहीं उठाया था ताकि यह मामला राजनीतिक विवाद न बने. लेकिन नतीजे आने के बाद पार्टी ने तुरंत चिट्ठी जारी कर आर.के. सिंह को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. पार्टी का कहना है कि उनके बयानों और आरोपों से संगठन की छवि को नुकसान पहुंच रहा था और वे लगातार अनुशासनहीनता कर रहे थे.

