नई दिल्ली 06 नवंबर। ओपनएआई का लोकप्रिय सोरा ऐप अब एंड्रॉइड पर लॉन्च हो गया है। यह ऐप टेक्स्ट और इमेज को शानदार एआई वीडियो में बदल देता है। यूजर्स सिनेमाई या कार्टून जैसी शैलियों में वीडियो बना सकते हैं और ऑडियो भी सिंक कर सकते हैं। कैमियो फीचर से आप खुद को वीडियो में शामिल कर सकते हैं। सितंबर 2025 में आईओएस पर आने के बाद अब यह अमेरिका, कनाडा, जापान और कई एशियाई देशों में उपलब्ध है। इस ऐप से क्रिएटिव कंटेंट बनाना अब और भी आसान और मजेदार हो गया है।
भारत में रोलआउट को लेकर कोई टाइमलाइन शेयर नहीं की गई है. भारत OpenAI के लिए दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है, लेकिन फिर भी भारतीय यूजर्स को इस ऐप के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है.
क्या है Sora App? कैसे करता है काम?
Sora एक AI-पावर्ड शॉर्ट वीडियो जनरेशन ऐप है जो यूजर्स को टेक्स्ट या इमेज से 60 सेकेंड तक के क्रिएटिव वीडियो बनाने की सुविधा देता है. यह ऐप OpenAI के एडवांस्ड Sora 2 मॉडल की मदद से ऑटोमेटिकली वीडियो के साथ साउंडट्रैक भी जोड़ता है. Android वर्जन में वही सभी फीचर्स हैं जो iPhone ऐप में पहले से उपलब्ध थे, जिसमें AI कैमीओ जैसी इंटरैक्टिव फीचर्स भी शामिल हैं.
सिर्फ वीडियो नहीं, बनाएंगे कैमीओ और रीमिक्स भी
Sora में यूजर्स न सिर्फ वीडियो बना सकते हैं, बल्कि उनमें अपनी या दोस्तों की तस्वीरों के जरिए कैमीओ भी जोड़ सकते हैं. इसके अलावा, यूजर्स पहले से बने वीडियो को रीमिक्स कर सकते हैं और खास स्टाइल्स, थीम्स और इफेक्ट्स भी लगा सकते हैं. जनरेटेड वीडियो को सीधे Instagram, TikTok, YouTube या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करना भी बेहद आसान है.
Free vs Paid: किन्हें क्या मिलेगा?
Sora के फ्री वर्जन में यूजर्स को बेसिक वीडियो जनरेशन फीचर्स मिलते हैं, लेकिन तेज प्रोसेसिंग और लैंगर वीडियो बनाने के लिए ChatGPT Plus यूजर्स को एक्सक्लूसिव एक्सेस मिलता है. ChatGPT Plus सब्सक्राइबर्स Sora में ज्यादा लंबी और हाई-क्वालिटी वीडियो बना सकते हैं. यह मॉडल अब क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के बीच भी काफी पॉपुलर हो रहा है.
विवादों में भी घिरा Sora: Deepfake और Copyright को लेकर चिंता
लॉन्च के कुछ समय बाद से ही Sora ऐप को डीपफेक और कॉपीराइट से जुड़े मामलों में आलोचना का सामना करना पड़ा था. खासकर तब जब कुछ यूजर्स ने Martin Luther King Jr. जैसे प्रसिद्ध हस्तियों के अपमानजनक डीपफेक वीडियो बना डाले. शुरुआत में OpenAI ने ‘opt-out’ पॉलिसी लागू की थी, लेकिन विवाद के बाद अब इसे ‘opt-in’ में बदल दिया गया है, ताकि कॉपीराइटेड कंटेंट का गलत इस्तेमाल रोका जा सके.

