लखनऊ 08 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों में जुटी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। मंगलवार को एक विस्तृत पोस्ट के जरिए मायावती ने विपक्षी दलों को घोर जातिवादी और दलित-विरोधी करार देते हुए कांशीराम जी के आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाया।
मायावती ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और मान्यवर कांशीराम जी द्वारा दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने के लिए शुरू किए गए आंदोलन को सपा और कांग्रेस ने शुरू से ही कमजोर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, इन पार्टियों का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है।
मायावती ने सपा प्रमुख की ओर से 9 अक्टूबर को कांशीराम जी के परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आयोजित करने की घोषणा को ‘मुँह में राम, बगल में छुरी’ वाली कहावत का प्रतीक करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा ने न केवल कांशीराम जी के जीवनकाल में उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि बसपा सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2008 को कासगंज जिले को ‘कांशीराम नगर’ नाम देने के फैसले को भी अपनी जातिवादी मानसिकता के चलते बदल दिया।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा कांशीराम जी के नाम पर बनाए गए विश्वविद्यालय, कॉलेज, अस्पताल और अन्य संस्थानों के नाम भी सपा सरकार ने बदल दिए। उन्होंने इसे सपा की दलित-विरोधी मानसिकता का सबूत बताया। मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि कांशीराम जी के निधन पर सपा सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक तक घोषित नहीं किया और न ही कांग्रेस की केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शोक मनाया।
मायावती ने सपा और कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति के लिए कांशीराम जी का नाम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, समय-समय पर ये पार्टियां कांशीराम जी को याद करती हैं, लेकिन यह महज दिखावा और छलावा है। उन्होंने जनता से ऐसी संकीर्ण और जातिवादी सोच वाली पार्टियों से सतर्क रहने की अपील की।