हमीरपुर 16 सितंबर। जिला कारागार में विचाराधीन बंदी अनिल तिवारी की रविवार रात मौत के बाद सोमवार को परिजनों, ग्रामीणों ने जेल के सामने सड़क पर जाम लगा दिया. परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही और हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है. करीब 1 घंटे तक हंगामे की स्थिति बनी रही. सूचना पर पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने में जुट गए. वहीं सदर विधायक भी मौके पर पहुंचे और परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. वहीं, घटना के तीन दिन बाद भी परिजन शव लेने के लिए राजी नहीं हुए हैं. वह इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करने की मांग कर रहे हैं.
सदर कोतवाली क्षेत्र के सूरजपुर गांव निवासी अनिल तिवारी (33) को एससी/एसटी एक्ट के मुकदमे में वांछित के बाद पुलिस ने 11 सितंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. रविवार को जेल में उसकी अचानक तबीयत बिगड़ गई. जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही मौत हो गई.
महानिदेशक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं पीसी मीना ने डिप्टी जेलर संगेश कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर लखनऊ स्थित डॉ. संपूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान संबद्ध कर दिया. वहीं मंडल कारागार बांदा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने जेल वार्डर अनिल कुमार यादव को निलंबित कर बांदा संबद्ध कर दिया. जेलर केपी चंदीला ने कहा डिप्टी जेलर और वार्डर दोनों पर कार्रवाई की गई है. न्यायिक और मजिस्ट्रेटी जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी.
मृतक की पत्नी पूजा ने कोतवाली में तहरीर देकर जेल अधीक्षक, जेलर और डिप्टी जेलर समेत सात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की. एफआईआर दर्ज न होने से नाराज परिजनों ने पोस्टमार्टम के बाद शव घर नहीं ले गए और मॉर्चरी में ही छोड़ दिया. चचेरे भाई अखिलेश ने कहा कि कार्रवाई होने के बाद ही अंतिम संस्कार करेंगे. सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति ने परिजनों से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि कार्रवाई के बाद ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होगी.
जेल अधीक्षक मंजीव विश्वकर्मा ने बताया कि भर्ती के समय मेडिकल में बंदी को अल्कोहोलिक प्रवृत्ति का मरीज पाया गया. रविवार को अचानक उसका शुगर लेवल गिर गया और स्थिति गंभीर हो गई. उसे जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. अधीक्षक ने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है.
वहीं, पत्नी पूजा द्विवेदी ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा पति बिल्कुल स्वस्थ थे. गुरूवार को हाजिर हुए थे और शुक्रवार को वह उनसे मिलने जेल गईं. तब वह अच्छे-खासे थे. रविवार को उनकी मुलाकात नहीं हो पाई. शनिवार को ही उनको पता चला था कि अनिल की तबीयत ठीक नहीं है. रविवार को खबर मिली कि उनकी मौत हो गई. उनका कहना है कि पति की मौत स्वाभाविक नहीं है. उन्होंने इंसाफ की गुहार लगाई है.
चचेरे भाई सुमित ने बताया कि 10 साल पहले मोहल्ले के ही दलित परिवार से विवाद के बाद अनिल के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद से वह दिल्ली में रहकर नौकरी करने लगा. कोर्ट में पेश न होने के चलते उस पर वारंट जारी हुआ. हाल ही में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
इधर, पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही शव जेल परिसर के बाहर लाया गया, परिजन भड़क उठे. उन्होंने जेल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मेन रोड पर जाम लगा दिया. परिजनों का कहना है कि सही-सलामत जेल गया अनिल तीसरे ही दिन कैसे मर गया.
अपर पुलिस अधीक्षक अनूप गुप्ता ने बताया कि मामला जेल प्रशासन से जुड़ा है. मौत की जांच मजिस्ट्रेट स्तर पर होगी. जिला प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से जेल परिसर और आसपास अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है.
वहीं हंगामें के बाद हमीरपुर जेल प्रशासन मृतक की बॉडी परिजनों को नहीं दिखा रहे थे. तभी परिजनों ने जेल के बाहर जाम लगाया. मौके पर सदर विधायक पहुंचे, उनके हस्तक्षेप के बाद जब शव दिखाया गया, तो शरीर पर मारपीट के कई निशान मिले. परिजनों ने वीडियो बनाकर वायरल किया और आरोप लगाया कि अनिल को कितना मारा-पीटा गया. जरा-से मुकदमे में इतनी पिटाई कर दी कि उसकी मौत हो गई.
मारपीट के आरोपों पर जेल अधीक्षक मंजीव विश्वकर्मा ने कहा कि शव पर मौजूद निशान पहले से थो और इसका उल्लेख भर्ती के समय की मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज है. उन्होंने कहा कि यह वारंटी बंदी था और जेल में किसी तरह की मारपीट की घटना नहीं हुई है.
हमीरपुर जिला कारागार में बंदी की मौत को लेकर परिजनों में आक्रोश है. अनिल के परिजन कार्रवाई न होने से नाराज हैं. वह शव को पोस्टमार्टम हाउस में छोड़कर घर चले गए. परिजनों का आरोप है कि जेल प्रशासन की बेरहमी से पिटाई और जेलर के तुगलकी फरमान के चलते अनिल की मौत हुई. अनिल सदर कोतवाली क्षेत्र के सूरजपुर गांव का रहने वाला था.
परिजनों का कहना है कि जेल में बंदी के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, जिससे उसकी जान चली गई. इस मामले पर हमीरपुर जेल अधीक्षक मंजीव विश्वकर्मा ने बताया कि डिप्टी जेलर संगेश कुमार और जेल वार्डर अनिल कुमार यादव को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी. उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
घटना के तीन दिन गुजर जाने के बाद भी परिजन शव लेने के लिए राजी नहीं हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक जेल अधिकारियों, कैंटीन संचालक और संबंधित पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज नहीं होता तब तक वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. बता दें कि डीजी जेल पीसी मीना ने डिप्टी जेलर संगेश कुमार और वार्डन अनिल कुमार यादव को निलंबित कर दिया है. डीएम घनश्याम मीना ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.