पटना 23 जुलाई। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन में जमकर बहस देखने को मिली. इसके साथ हंगामे के कारण सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने SIR मामले पर सरकार के साथ- साथ चुनाव आयोग पर हमला बोला है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि हम SIR का विरोध नहीं करते हैं. हम केवल इसकी पारदर्शिता का विरोध कर रहे हैं.
तेजस्वी ने साफ कहा कि ‘चुनाव आयोग ने हलफनामे में किसी घुसपैठ का जिक्र नहीं किया है. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. कल ही चुनाव आयोग ने 780 पेजों का हलफनामा दिया है. उस हलफनामे में किसी नेपाली, बांग्लादेशी, म्यांमार घुसपैठ का कहीं भी जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा कि जब इलेक्शन कमीशन नहीं मान रहा है कि कोई घुसैपैठिया नही है.
चुनाव आयोग वोटर्स को फर्जी बता रहा- तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ‘चुनाव आयोग कौन होता है नागरिकता साबित करने वाला? यहां दो उपमुख्यमंत्री बैठे हैं. दोनों सूत्रों के हवाले से कहते हैं बांग्लादेशी आ गया. पाकिस्तानी आ गया.’ ये उन्हें न्यूज के सूत्रों से मिला है. चुनाव आयोग ने अब तक इसे लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है. 2003 में इसे करने में 2 से 3 साल लगे थे. अब ये 6 महीने में करवा रहे हैं. चुनाव आयोग वोटर्स को फर्जी बता रही है. क्या नीतीश फर्जी मुख्यमंत्री हैं? क्या मैं फर्जी विधायक हूं? इसे लोकसभा चुनाव के बाद ही करवा चाहिए था.’
तेजस्वी के सवाल पर नीतीश का जवाब
तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी के 52986 पंजीकृत BLA ने कभी भी विदेशी नागरिकों के मामले चुनाव आयोग के सामने नहीं उठाए हैं. इस पर सीएम नीतीश कुमार ने जवाब में कहा कि पहले क्या था. तुम्हारे पिता ने क्या किया? जो ये लोग कहते रहते हैं. जब भी इन लोगों का कोई काम आता है. ये कहते हैं तो हम करवाते हैं. पहले किसी ने महिलाओं को कुछ दिया था.’तुम बच्चे थे. तुम्हारे माता-पिता CM रहे, क्या किया.. कुछ नहीं.
ऐसे कागज मांगे जा रहे हैं जो किसी के पास नहीं- तेजस्वी
तेजस्वी ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को वैलिड नहीं माना है. दो फीसदी लोगों के पास डॉक्यूमेंट्स है. 11 डॉक्यूमेंट्स मांगे जा रहे हैं. किसी भी पेपर के लिए बिहार सबसे फिसड्डी राज्य है.’ चुनाव आयोग की तरफ से ऐसे पेपर मांगे जा रहे है कि जो किसी के पास नहीं हैं. बिहार के 4 करोड़ लोग बिहार से बाहर जाते हैं. ‘आधार कार्ड, मनरेगा कार्ड और राशन कार्ड की अनुमति क्यों नहीं दी गई. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी ये अपनी बाद नहीं रखते हैं.