नई दिल्ली 21 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित संयुक्त पूछताछ केंद्र (JIC) में एक पुलिस कांस्टेबल को कथित तौर पर हिरासत में प्रताड़ित किए जाने के मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दिए. साथ ही अपीलकर्ता को मुआवजा देने का भी आदेश दिया.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के उन अधिकारियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर पुलिस अधिकारी को हिरासत में प्रताड़ित करने के लिए जिम्मेदार थे. अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को अपीलकर्ता खुर्शीद अहमद चौहान को उसके मौलिक अधिकारों के घोर उल्लंघन की भरपाई के तौर पर 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया.
अपीलकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और अपीलकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR भी रद्द कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत कथित अपराध की आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्याय का उपहास होगा.
बता दें कि अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 309 के तहत दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
अमानवीय और अपमानजनक यातना का आरोप
अपीलकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे अमानवीय और अपमानजनक यातना दी गई. आरोप है कि उसे 20 से 26 फरवरी, 2023 तक कुपवाड़ा के संयुक्त पूछताछ केंद्र में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की और सीबीआई को कुपवाड़ा स्थित जेआईसी में व्याप्त व्यवस्थागत मुद्दों की जांच करने का भी निर्देश दिया.
यातना में शामिल पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाए
पीठ ने कहा कि कथित तौर पर यातना में शामिल पुलिस अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार किया जाए और प्राथमिकी दर्ज होने की तारीख से तीन महीने के भीतर जांच पूरी की जाए. मामले में विस्तृत फैसला आज ही अपलोड किया जाएगा.