asd हां मैं ब्लैकमेलर हूं

हां मैं ब्लैकमेलर हूं

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मानव जाति और सोच समझने की शक्ति वालों में नाम और काम का बड़ा महत्व है। उप्र के मुख्य सचिव रहे साहित्यकार आईएएस शंभुनाथ कहते थे कि अपने बच्चों का नाम हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए क्योंकि अगर राजा के बेटे का नाम भिखारी दास और भिखारी के बेटे का नाम राजा रखा जाए तो वो उसी के अनुसार ढल जाता है। इस कड़ी में गांवों में कहावत प्रचलित है कि आप किसी को चोर पागल कहने लगे तो वो कुछ दिनों में इसी श्रेणी का बन जाता है। इसी प्रकार अगर अपराधियों को ईमानदार प्रचारित किया जाए तो वो समाज में प्रतिष्ठित बने रहते हैं।
ऊपर दिए गए शब्दों का उददेश्य यही है कि आजकल जहां चार आदमी एकत्र हुए नहीं कि चर्चा में वो ब्लैकमेलर है का उच्चारण खूब होने लगता है और जो कह रहा है उसकी मंशा क्या है यह सोचे बिना बाकी लोग भी उसके सुर में सुर मिलाने लगते हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर ब्लैकमेलर शब्द का उपयोग क्यों हो रहा है।
दोस्तों पीएम मोदी यूपी के सीएम सहित तमाम जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार मुक्त समाज गुणवत्ता पूर्ण विकास कार्य और सरकारी नीतियों का लाभ आम आदमी को मिले इसके लिए भरपूर प्रयास कर रहे है। मंच और वक्ता कोई भी अपने संबोधन में ईमानदारी बरते समाज की कुरीतियों को दूर करने भ्रष्टाचार मुक्त समाज की बात जरूर करता है। इसका उददेश्य है कि अगर कहीं कुछ गलत हो रहा है तो नागरिक और मीडिया उसे रोकने और सरकारी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए सही बात लिखे। इसको समाज सुधारक सब दोहराते हैं और चाहते भी हैं कि सही बात लिखी गई।
प्रिय पाठकों यह बात सही हेै कि हर कोई चाहता है कि भगत सिंह पैदा हो लेकिन पड़ोसी के घर में। अब ऐसे में यह जिम्मेदारी मीडिया अथवा जागरूक नागरिकों और समाजसेवियों की हो जाती है कि सही बात कहने लिखने से नुकसान की चिंता किए बिना पीएम मोदी और ईमानदार नेताओं की बात आगे बढ़ाएं और उनका प्रचार प्रसार करे। आर्थिक अपराधी भूमाफिया कच्ची कॉलोनियां काटने वालों अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ समाज को जागृत करे लेकिन इस आपाधापी के युग में जब आम आदमी दो रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है। उसके पास इन कामों के लिए फुर्सत नहीं है। इसका फायदा उठाकर समाज में गलत काम करने वाले व्यक्ति चाहे वह सरकारी कर्मचारी अफसर, जनप्रतिनिधि हो या तथाकथित समाजसेवी कोई भी क्यों ना हो जब इनके गलत कामों को उजागर करने का प्रयास होता और सरकार इनके खिलाफ अभियान चलाती हे तो सरकार की नीतियों के विरोधी कार्यों में लगे लोगों का एक गु्रप बन जाता है और इनके द्वारा इनकी गलत कार्यप्रणाली और सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले कामों को उजागर करने वाले व्यक्ति को यह कमजोर करने की कोशिश में साथ खड़े होकर ब्लेैकमेलर जैसे शब्दों से महिमामंडित करने लगते हैं। ज्यादातर लोग बिना सच्चाई जाने ऐसा प्रचार करने लगते हैं कि फलां व्यक्ति ब्लैकमेलर है। अब अगर समाजहित का काम करना और आवाज उठाना ब्लैकमेलिंग है तो मैं दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैकमेलर कहलाने में संकोच नहीं करता है क्योंकि मेरी मंशा अपराधियों को बढ़ावा देने की नहीं है। मेरा प्रयास समाज में खुशहाली लाने कमजोर असहायाओं की मदद करने और गलत काम कर सरकार को नुकसान पहुंचा रहे लोगों की कार्यप्रणाली का खुलासा सरकार और मोदी जी जैसे सबके हित की सोचने वाले नेताओं की बात को जनता तक पहुंचाना और जिससे आम आदमी को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यो को रोकने में सरकार की मदद करना मेरा फर्ज भी है और समाज हित में जरूरी भी। अगर हम मन से साफ हेै और हमारे किसी काम से सरकार और समाज को नुकसान नहीं होता और हम देशहित में काम करते हुए देश की एकता को मजबूत करते हुए भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना के लिए काम कर रहे हैं तो कोई ब्लैकमेलर कहे या कुछ और उसकी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हमें परमपिता परमात्मा ने जो मानव जीवन दिया है उसका समाजहित में उपयोग करने की कोशिश है।
आजकल मिशनरी पत्रकारिता करना आसान नहीं है और राजा हरिश्चंद्र बनकर भी नहीं रहा जा सकता। इसलिए अगर किसी को नुकसान ना हो रहा हो तो सरकारी नीति का उल्लंघन ना हो तो हमें काम ईमानदारी से इस प्रकार करना चाहिए कि दो समय की रोटी मिलती रहे और हमारा परिवार खुशहाल रहे। इसके साथ ही ऐसे कार्य करने में पीछे नहीं रहना चाहिए क्योंकि औरो को उपदेश बहुतेरे वाली कहावत अब अपना आधार नहीं रखती है। आओ इन ब्लैकमेलर कहने वालों की चिंता किए बिना अपने काम को आगे बढ़ाकर देशहित में अपनी भूमिका निभाए। आज हम हिन्दी पत्रकारिता दिवस मना रहे हैं। इस दिन की पहचान बनाए रखने के लिए हमारे पूर्वजों ने बड़े बलिदान दिए। भूखे रहकर जेलों में रहे मगर अपने उददेश्यों ने नहीं डिगे। उनकी याद और कामों को आगे बढ़ाने की कामना करते हुए हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर मैं सभी भाईयों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और उनसे आग्रह करता हूं कि लोग कुछ तो कहें उनका काम है कहना को आत्मसात कर जो हम कर रहे हैं उसे करते रहने के लिए बेखौफ होकर आगे बढ़ते रहे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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