प्रयागराज,13 दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि कोई पत्नी अच्छी नौकरी करती है और अपना गुज़ारा के लिए पर्याप्त वेतन पाती है तो वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुज़ारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह ने गौतम बुद्ध नगर के अंकित साहा की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए परिवार न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को सिर्फ़ आमदनी संतुलित करने और दोनों पक्षों के बीच बराबरी लाने के लिए पत्नी को पांच हज़ार रुपये गुज़ारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था, जबकि पत्नी हर महीने 36 हज़ार रुपये कमाती थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी साफ़-सुथरे हाथों से न्यायालय नहीं आई। उसने शुरू में बेरोजगार और अनपढ़ होने का दावा किया जबकि असल रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह पोस्ट ग्रेजुएट है और सीनियर सेल्स कोऑर्डिनेटर के तौर पर काम कर रही है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उप्र से प्रदेश के मेंटल अस्पतालों(मानसिक चिकित्सालयों) में स्टाफ नर्स की कमी की स्थिति की जानकारी मांगी है और पूछा है कि खाली पदों को कब तक भरा जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सफाईकर्मी पिता की सेवाकाल में मौत और मजबूर सफाईकर्मी मां का इस्तीफा, परिवार की खराब आर्थिक स्थिति पर विचार किए बगैर मृतक आश्रित कोटे में पुत्र की नियुक्ति से इनकार आदेश को मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट कहा कि ऐसी स्थिति में तकनीकी कारण की बजाय नियमावली के उद्देश्य के अनुसार परिवार की आर्थिक हालत पर विचार कर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी को तीन सप्ताह में आदेश करने का निर्देश दिया है।

