देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जी हर प्रदेश का मुखिया अपने यहां भयमुक्त वातावरण की स्थापना भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रशासन और सरकारी नीतियों के तहत विकास और जनहित के कामों की सोच पेश कर रहे हैं और आए दिन इस बारे में निर्देश भी दिए जा रहे हैं।
वर्तमान में सबसे बड़ी आवश्यकता पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार और उच्चस्तरीय आदेशों को लागू करने और आम आदमी को सुरक्षा का विश्वास दिलाने की है। जितना देखने को मिल रहा है कई स्तर पर सुधार के प्रयास हो रहे हैं मगर जितना देखने को मिलता है थानेदार बड़ी संख्या में सुधरने को तैयार नहीं है। ताकतवरों के सामने झुकने और उनके हिसाब को कानून को तोड़ने मरोड़ने आम आदमी को बेईज्जत करने और उच्चाधिकारियों का ध्यान बंटाने के लिए सारे कानून आम आदमी पर थोपने में लगे हैं जिससे उच्चाधिकारियों के निर्णय लागू नहीं हो रहे हैं। पुलिस कप्तान और उससे ऊपर के अधिकारी आदेश करते हैं। निचले अफसर लागू कराने का प्रयास भी करते हैं मगर थानेदार जब तक अपनी कार्यप्रणाली नहीं सुधारेंगे और गरीब आदमी को इंसान समझेंगे तब तक इनके स्थानातंरण से कुछ नहीं होने वाला और ना शहर को जाम से मुक्ति मिलेगी। आम आदमी का उत्पीड़न बंद होने वाला नहीं है। मेरा मानना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस मामले में सख्त रूख अपनाते हुए जिला कप्तानों को यह निर्देश देना चाहिए कि समय से काम ना करने और आदेशों का पालन ना कराने वाले थाना प्रभारियों की कुर्सी बदलने की बजाय समझाया जाए कि सरकार की मंशा और अफसरों के आदेश को लागू करने में असफल रहने पर महत्वहीन पदों पर भेजने के साथ समय पूर्व सेवानिवृति दी जा सकती है क्योकि अच्छा काम करने के लिए इस सेवा में आए नौजवान कुछ करने का जज्बा लेकर तैयार है। आवश्यकता पड़ने पर कई थानेदारों को उसी थाने में इंस्पेक्टर से दारेागा और दारोगा को इंस्पेक्टर बनाने से सुधार की बयार चल सकती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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