यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का यह बयान कि शत्रु संपत्ति पर सरकार और नागरिकों का अधिकार है अगर ध्यान से सोचें तो सकारात्मक और जनहित का है। क्योंकि अब जो लोग उन संपत्तियों पर अधिकार जमाने की कोशिश कर रहे हैं वो उस समय कहां थे जब इनके मालिकों द्वारा देश को तोड़ने और नुकसान पहुंचाने वाली शक्तियों का सहयोग किया जा रहा था। सीएम योगी ने जो इस संदर्भ में फैसला किया है हर देशभक्त नागरिक की निगाह में अच्छा है।
एक खबर के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि जिन सेक्यूलरिस्टों की आंखों में धूल झोंकी गई हैं, उन्हें बताइए कि मोहमदाबाद का नवाब मुस्लिम लीग का कोषाध्यक्ष बनकर पाकिस्तान के लिए धनराशि उपलब्ध कराता था। भारत की संपत्ति को भारत को तोड़ने के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा था। वह भागकर पाकिस्तान भी चला गया था। वहां दुर्गति होने पर उसके वंशज फिर से भारत में हाथ-पैर मार रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रॉपर्टी शत्रु संपत्ति है और इस पर सिर्फ भारत की सरकार व नागरिकों का अधिकार है। ब्रिटिश सरकार हो या मुगलकाल, सभी ने एकता को छिन्न-भिन्न किया मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि भारत एक रहे। उन्होंने भारत को बांटने की साजिश की थी। मुगलकाल और ब्रिटिश सरकार ने एकता को छिन्न-भिन्न किया।
जो भारत लाखों-हजारों वर्षों से अखंड रहा, ब्रिटिश कालखंड में उसके एक-एक टुकड़े अलग होते गए। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन 14 अगस्त 1947 का था, जब भारत की दो भुजाओं को पृथक करके ब्रिटिशर ने बड़ी चोट की थी। उनकी मंशा थी कि भारत को अनेक भागों में विभाजित कर दें। ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की थी कि भारत को आजाद करेंगे, लेकिन इसे दो भागों में बांटेंगे। देसी रियासतों को छूट देंगे कि वे मर्जी से भारत-पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र अस्तित्व को भी बनाए रख सकते हैं, लेकिन लौहपुरुष ने 563 रियासतों को देश का हिस्सा बनाकर वर्तमान भारत के शिल्पी के रूप में नागरिकों के दिल में राज किया। मान्य मुख्यमंत्री जी का शत्रु संपत्ति का लिया जा रहा निर्णय आम आदमी की सोच के अनुसार सही कदम है। मेरा सीएम साहब से आग्रह है कि इसके साथ ही यूपी सरकार की अरबो खरबो की संपत्ति और जो नियम विरूद्ध आवास विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जे हो रहे हैं और कुछ अघोषित भूमाफिया उन पर कब्जा कर उन्हें बेच रहे हैं अगर उस संपत्ति पर भी कब्जा लिया जाए या कब्जा करने वालों से बाजार भाव से कीमत वसूली जाए तो सरकार मालामाल और शहरों का सुनियोजित विकास भी हो सकता है जो वर्तमान में निर्माण विकास से संबंधित विभागों की माल कमाउ और सुविधा जुटाओ प्रवृति के चलते नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री जी स्थिति तो यह है कि जिसको जहां मौका मिल रहा है वो सरकारी जमीन को घेरने में पीछे नहीं है और अब तो स्थिति यह हो गई है कि नाले नालियों के किनारे पटरी पर भी लोग बहुमंजिले निर्माण कर रहे हैं और मेडा आवास विकास के अधिकारी सुविधा शुल्क के चक्कर में मूकदर्शक बने बैठे हैं। पिछले दिनों गढ़ रोड स्थित एक तालाब पर कब्जा कर फ्लैट बनाने के लिए चर्चिंत महेंद्र गुप्ता द्वारा हापुड रोड पर काटी गई कालोनी में नापतौल के बाद आवास विकास की घेरी हुई जमीन का पता चला। उसे खाली कराया गया या पैसे ले लिए गए वो अलग बात है लेकिन ना उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। इसलिए आम आम आदमी की जमीन पर भी कब्जा करने की प्रवृति में इजाफा हो रहा है। मुख्यमंत्री जी सरकारी जमीन पर होने वाले कब्जे और अवैध कॉम्पलैक्स आवास की भूमि पर कॉमर्शियल निर्माण के दोषी मेडा और आवास विकास के अफसरों पर सख्ती की जाए तो शत्रु संपत्ति के साथ ही सरकार की इतनी जमीन खाली हो जाएगी जिसे बेचकर या उपयोग में लेकर आर्थिक स्थिति तो मजबूत की ही जा सकती हैं जनहित की योजनाएं भी पूरी की जा सकती हैं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
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