पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना कोई नया मुद्दा नहीं यह 1955 में शुरू हुआ। जानकारों के अनुसार उस समय के मुख्यमंत्री सम्पूर्णानंद जी द्वारा इस मांग को प्रोत्साहन दिया गया था। तब से आज तक जितने भी मेरठ सहित पश्चिमी उप्र के सभी जिलों के बार एसोसिएशन के पदाधिकारी हुए सबने संयुक्त रूप से मिलकर इस मांग को पुरजोर बढ़ावा दिया जाता रहा। वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी नरेन्द्र पाल सिंह गजेन्द्र सिंह धामा एडवोकेट ब्रहमपाल सिंह एडवोकेट रोहताश अग्रवाल आदि के प्रयासों से इस मांग को लेकर आंदोलन निरंतर गति पकड़ता रहा है और कई बार तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस मांग को लेकर ऐसा चक्का जाम रहा कि लोग आवश्यक वस्तु भी कुछ घंटों के लिए प्राप्त नहीं कर पाए क्योंकि हर व्यक्ति आंदोलन के समर्थन में सड़क पर खड़ा था। वर्तमान समय में मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा महामंत्री राजेन्द्र सिंह राणा पूर्व अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह धामा वरिष्ठ अधिवक्ता जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव त्यागी सुबोध शर्मा अशोक शर्मा अजय त्यागी आदि युवा और बुजुर्ग वकीलों के सहयोग से इस आंदोलन को गति देने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे है। और उनके द्वारा आगामी 17 दिसंबर को इस मांग को लेकर बंद के प्रति समर्थन जुटाने के लिए किये जा रहे प्रयासों और मिल रहे सहयोग से ऐसा लगता है कि अब देर सवेर केन्द्र की सरकार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता न्याय दिलाने की मांग को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
एक खबर के अनुसार देश के 53वें सीजेआई सूर्यकांत जी ने जो अपना गरिमापूर्ण पदभार संभालने से पहले कहा कि लंबित मामलों का निपटारा सबसे पहले। उन्होंने कहा पहले हाईकोर्ट जाए और फिर सर्वोच्च न्यायालय आये। उनका मानना है कि केस घटाने को लेकर समान्तर योजनाएं करेंगे लागू। कुछ हफ्तों में गठित होगी 9 जजों की पीठ। क्योंकि लंबित मामलों को निपटाना पहली प्राथमिकता।
एक प्रातः कालीन समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार जस्टिस सूर्यकांत जी ने कहा मेरठ में हाईकोर्ट बैंच बड़ा मुद्दा है इससे भी हाईकोर्ट बैंच की मांग को एक बड़ा बल मिलता है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में भी यह बात है। और जहां तक मैं जानता हूं शायद पहली बार इस पर ऐसी चर्चा हुई।
पश्चिमी उप्र में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना हमेशा दांव पेंच में फंसकर रह गई। क्योंकि कभी कहा जाता है कि इस संदर्भ में कोई प्रस्ताव नहीं है भेजिए कभी कुछ और कहते है जो भी हो यह बड़ा मामला है और सरकार को इस बारे में निर्णय लेने के लिए काफी सोच विचार करने और जरूरी समर्थन जुटाने की आवश्यकता है। और मुझे लगता है कि इसकी पूर्ति वेस्ट यूपी के सांसदों राज्यसभा सदस्यों व बड़े नेताओं के समक्ष यह बात पूरी ताकत से उठाने के लिए जो प्रयास हो रहे है वो काफी साकारात्मक है। और जैसा कि देश के अन्य प्रदेशों में ऐसी ही कुछ मांगे पहले ही मानी जा चुकी है। उसको दृष्टिगत रखकर देखे तो अगर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के दिखाये मार्ग पर चलकर इस मांग को अब कमजोर नहीं पड़ने दिया गया तो देर सबेर बैंच की स्थापना अथवा अधिवक्ताओं की सहमति से कोई ना कोई निर्णय अब जल्द ही हो सकता है। क्योेंकि कई बार यह मुद्दा कानून मंत्री के समक्ष और उच्च सदन में भी चर्चा का विषय बन चुका हैं। अपने समय में गजेन्द्र सिंह धामा एडवोकेट ने केन्द्रीय कानून मंत्री से इस संदर्भ में मुलाकात की थी और उसके बाद वो और वर्तमान अध्यक्ष संजय शर्मा तथा महामंत्री राजेन्द्र सिंह राणा सहित सभी अधिवक्ता जो उच्च स्तरीय जनप्रतिनिधियों से मिल रहे है वो महत्वपूर्ण है संजय शर्मा जी जनता को आशा है कि पश्चिम उप्र के वकीलों की यह मांग अब जल्द ही पूरी हो सकती है।
संजय शर्मा जी जहां तक नागरिकों के समर्थन का मामला है तो आप यह समझ लें कि इस मांग के समर्थन में मेरठ सहित पश्चिमी उप्र के सभी जिलों के नागरिक आपके साथ है आप कहे ना कहे कोई आपको समर्थन देने आये या ना आए लेकिन उसकी सहभागिता आपके प्रस्तावित बंद के साथ साथ उसकी भावनाएं आपसे जुड़ी हुई है क्योंकि यह हर व्यक्ति की व्यवस्थाओं से जुड़ा मुद्दा है आप जो प्रयास कर रहे है उसके लिए आप बधाई के पात्र है। सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए की जिला मंडल व नगर आदि की ज्यादातर ईकाईयों के सदस्य आपके प्रस्तावित बंद के समर्थन में हैं अगर गिनवाया जाए तो ऐसा कोई संगठन धार्मिक सामाजिक शैक्षिक नहीं है जिसके पदाधिकारी व सदस्य भावनात्मक रूप से आपके साथ ना जुड़े हो। इसलिए यह कहा जा सकता है कि 17 का प्रस्तावित बंद कुछ दशक पूर्व हुए इस मुद्दे को लेकर हुए बंद के समान मजबूत व प्रभावशाली होगा। जिला बार के पूर्व अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह प्रधान रामकुमार शर्मा एडवोकेट दुष्यंत सिंह एडवोकेट अधिवक्ता सेंसर पाल शर्मा राजीव गर्ग एडवोकेट देवी शरन एडवोकेट शुएब अली जुबैरी अनिल तोमर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल जैन वरिष्ठ अधिवक्ता आदि शामिल है।
चौधरी यशपाल सिंह एडवोकेट ने कहा

सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएम के प्रमुख चौ0 यशपाल सिंह एडवोकेट के अनुसार प्रकाश वीर शास्त्री एडवोकेट शक्ति सिंह एडवोकेट लेखक और कवि सुधाकर आशावादी एडवोकेट योगेन्द्र शर्मा एडवोकेट अब्दुल फहीम एडवोकेट राजीव गर्ग एडवोकेट हर्ष वर्धन बिट्टन एडवोकेट आदि सुरेन्द्र शर्मा एलएलबी सहित एसएमए के सभी सदस्य प्रस्तावित बंद में शामिल है और गजेन्द्र सिंह धामा तथा संजय शर्मा व राजेन्द्र सिंह राणा आदि के प्रयासों का समर्थन करते है।
(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक पत्रकार)

